राजनीतिक दल शामिल करें कारोबारी विकास अपने एजेंडा में

जयपुर। आल राजस्थान ट्ेड एंड इंडस्ट्ीज एसोसियेषन ने प्रदेष के राजनीतिक दलों से अपेक्षा की है कि आगामी विधानसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए कारोबारी विकास को अपने एजेंडा में षामिल करें। आरतिया के अध्यक्ष विष्णुभूत, मुख्य संरक्षक आषीष सर्राफ व मुख्य सलाहकार कमल कंदोई ने कहा इसके लिए वे प्रदेष के सभी प्रमुख व्यापारिक-औद्योगिक संगठनों से संवाद करें, उनकी वर्तमान वस्तु-स्थिति समझें, उनके निराकरण के लिए क्या किया जा सकता है इसके लिए विजनरी एप्रोच विकसित करें। इसके अलावा प्रदेष में अब तक जो औद्योगिक विकास हुआ है, वह सामने है, लेकिन आगे क्या बेहतर किया जा सकता है, इस पर अनुभवी व नई पीढ़ी दोनों तरह के उद्यमियों से सार्थक संवाद कर तदनुसार अपने एजंेडा का निर्धारण करें।

आरतिया के कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियाणी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाष षर्मा और नरेष चैपड़ा ने कहा कि राजस्थान देष में भौगोलिक दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है। प्रदेष का आधे से अधिक भू-भाग रेतीला है, लेकिन सरसों, जीरा एवं अन्य प्रमुख कृषि जिंसों के उत्पादन व पेट्ोलियम समेत अनेक प्रमुख उत्पादों के बहुतायत से हो रहे उत्पादन के कारण यह इलाका भी प्रदेष के औद्योगिक विकास की धुरी बनता जा रहा है। राजस्थान कारोबारी लिहाज से बहु-आयामी परिदृष्य वाला राज्य है और उत्पाद विविधता यहां भरपूर है। इसके अलावा प्रदेष की टूरिज्म व हैल्थ इकोनोमी भी व्यापक संभावना वाली है, तो साथ ही षिक्षा के लिहाज से वैष्विक केंद्र राजस्थान बन सकता है।

आरतिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सौरवषर्मा, उपाध्यक्ष राजीव सिंहल व जितेंद्र अग्रवाल का कहना है कि आठ करोड़ से अधिक आबादी वाले प्रांत राजस्थान में जन-संसाधन की बहुलता है, उत्तर-प्रदेष व बिहार से बहुत बड़ी तादाद में श्रमिक भी यहां के उद्योगों में कार्यरत हैं। राजस्थान की जनषक्ति के पास अपना कौषल व कुषलता है। इन सभी का उपयोग निर्यात बढाने के लिहाज से किया जा सकता है। राजस्थान में जितनी निर्यात संभावना है, उसकी तुलना में अभी हम 20 फीसदी निर्यात भी नहीं कर पा रहे हैं। इसी तरह राजस्थान के निजी क्षेत्र में नियोजन के जितने अवसर हैं, उसका 40 फीसदी भी नियोजन नहीं हो पा रहा है, इसलिए कि कहीं-कहीं सरकारी कायदे-कानून और बिजली की दरें इस राह में अड़चन बन जाती हैं। राजस्थान में सरसों उत्पादन देष में सबसे अधिक होता है, लेकिन उसके बाद भी हम उत्तम गुणवत्ता वाले सरसों तेल के निर्यातक नहीं हैं। इसी तरह मसालों का भरपूर उत्पादन हम करते हैं, लेकिन उसकी उत्पादकता बढ़ाकर बड़ा निर्यात नहीं कर पा रहे। कृषि क्षेत्र के लिए सरकार ने अलग बजट तो बनाया है, लेकिन कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर अभी तक फोकस नहीं बन पाया है।

इन तमाम स्थितियांे को दृष्टिगत रखते हुए राजस्थान को कैसे निवेष, रोजगार व निर्यात में अग्रणी बनाया जाये, यह महत्वपूर्ण है। यह काम राजनीतिक दलों के विजनरी नेता प्रदेष के उद्यमियों-कारोबारियोें से संवाद कर अग्रेषित कर सकते हैं। प्रदेष के कारोबारी संगठन तो तत्पर हैं, लेकिन राजनीतिक दलों से समानांतर पहल की अपेक्षा है।

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