वन संरक्षण संषोधन विधेयक से राजस्थान में मिलेगा ईको टूरिज्म को बढ़ावा

जयपुर। आल राज. ट्ेड एंड इंडस्ट्ीज एसोसियेषन ने कहा है कि हाल ही केंद्र सरकार ने लोकसभा में जो वन संरक्षण विधेयक 2023 पारित किया है, उससे राजस्थान में ईको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। अधिनियम के तहत प्रावधान है कि आरक्षित वनों को अनारक्षित करने, वन भूमि का गैर-वन कार्यों के लिए उपयोग, वन-भूमि को पट्टे पर अथवा अन्य तरीके से निजी इकाइयों को देने, प्राकृतिक रूप से उगे पेड़ों के पुनः वनीकरण के लिए सफाया करने हेतु केंद्र सरकार की अनुमति आवष्यक है।
आरतिया के अध्यक्ष विष्णु भूत, मुख्य संरक्षक आषीष सर्राफ, मुख्य सलाहकार कमल कंदोई, कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियाणी व वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाष षर्मा के अनुसार विधेयक में वन भूमि के उपयोग को लेकर कुछ छूट दिये जाने के प्रस्तावों को लोकसभा से मंजूरी दी गई है, साथ ही विधेयक में कुछ नई गतिविधियों को भी षामिल किया गया है जिनमें वन संरक्षण के लिए वानिकी गतिविधियों के तहत ईको टूरिज्म, चिड़ियाघर और सफारी संचालन करना। ऐसी गतिविधियां अस्थाई प्रकृति की होती हैं और इनसे भूमि उपयोग में कोई वास्तविक बदलाव नहीं आता, अतः इन्हें गैर वानिकी गतिविधि नहीं माना जायेगा। विधेयक की धारा 6 केंद्र सरकार को अधिकार देती है कि वह कानून के उचित क्रियान्वयन के लिए निर्देष जारी कर सकती है।
आरतिया के अनुसार कानून की व्यवहारिकता के मामले में संषय को दूर करने से प्राधिकरण द्वारा वन भूमि का गैर-वानिकी कार्यों के लिए इस्तेमाल से जुड़े प्रस्तावों के मामले में निर्णय लेने की प्रक्रिया बेहतर होगी। सरकारी रिकार्ड में दर्ज ऐसी वन भूमि जिसे गैर वानिकी इस्तेमाल में डाल दिया गया है, उसका भी राज्य के साथ केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकेगा। प्राणी उद्यान और सफारी जैसी गतिविधियों का स्वामित्व तो सरकार का होगा और इन्हें संरक्षित क्षेत्र के बाहर केंद्रीय प्राणी उद्यान प्राधिकरण द्वारा अनुमति प्राप्त योजना के अनुरूप् स्थापित किया जा सकेगा। इसी प्रकार वन क्षेत्र में वन संरक्षण योजना के मुताबिक ईको-टूरिज्म गतिविधियों का संचालन किया जा सकेगा, इससे स्थानीय समुदायों की आजीविका बढ़ाने में मदद मिलेगी और उन्हें विकास की मुख्य धारा में जुड़ने का अवसर मिल सकेगा।
आरतिया ने कहा है कि राज्य में ईको टूरिज्म मेें निजी निवेष को प्रमोट करने के लिए उक्त अधिनियम की पालना-अनुरूप नीति बनाये तथा प्रदेष ईको-टूरिज्म का विष्व में बड़ा हब बन सके।

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