पट्टा अभियान की सीएमओ से हो मानीटरिंग

जयपुर। आल राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्रीज एसोसियेशन ने कहा है कि स्थानीय निकायों में सरकार के स्वायत्त शासन व शहरी विकास विभाग द्वारा जो पट्टा अभियान संचालित किया जा रहा है, उसकी अब सीएमओ अर्थात मुख्यमंत्री कार्यालय से मानीटरिंग की जाये। आरतिया के अध्यक्ष विष्णुभूत, मुख्य संरक्षक अशीष सर्राफ, मुख्य सलाहकार कमल कंदोई अनुसार प्रदेश में कुल परिवारों की संख्या 180 लाख के पार हो गई है और इनमें 45-50 लाख परिवार शहरी इलाकों में रहते हैं। सरकार की ओर से प्रशासन शहरों की ओर अभियान के तहत जो फ्री होल्ड पट्टे बनाये जा रहे हैं, उनका काम बहुत मंथर गति से चल रहा है। लाखों आवेदन अब भी स्थानीय निकायों के अधिषासी अधिकारियों की अलमारियों में कैद हो कर रह गये हैं। 
 
आरतिया के कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियाणी व वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश चौपड़ा का कहना है कि प्रदेश में कुल 40 लाख से अधिक आवासीय इकाइयां हैं, जिनके पट्टे जारी किये जाने हैं। अब तक के जो आंकड़े हैं, उनके अनुसार आठ लाख के करीब पट्टे जारी हुए हैं। अर्थात 80 प्रतिशत आवासीय इकाइयों के पट्टे तो अभी तक लंबित हैं। हालांकि सरकार ने लक्ष्य बहुत कम पट्टों का रखा था, वे भी पूरे नहीं हुए। आरतिया के अनुसार यह अभियान जब से प्रारंभ हुआ है, तब से नियमों में बहुत सारे संशोधन कर दिये गये और जो भी नवीनतम संशोधन हैं, उनसे स्थानीय निकायों के अधिकारी अपडेटेड नहीं हैं। इस कारण वे पुराने नियमों के अनुरूप ही काम कर रहे हैं तथा तदनुसार शुल्कों की वसूली भी कर रहे हैं। 
 
आरतिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाश शर्मा व उपाध्यक्ष जितेंद्र अग्रवाल के अनुसार यह अभियान बेसिक सविसेज फार अरबन पुअर की आवष्यकता को दृष्टिगत रखते हुए संचालित किया गया था, जिसमें मात्र 500 रूपये के टोकन मूल्य पर पट्टा दिया जाना सुनिष्चित था। पर स्थानीय निकायों ने इस अभियान को आमदनी का जरिया बना लिया, जयपुर शहर में अब तक एक हजार करोड़ रूपये से अधिक की वसूली स्थानीय निकाय कर चुके हैं और पूरे राजस्थान में 3000 करोड़ रूपये से अधिक की। जबकि इस शुल्क वसूली से संबंधित जो सर्कुलर हैं, उनके नियमों को स्थानीय निकाय के अधिकारी नहीं मान रहे। आरतिया का कहना है कि अभियान से संबंधित नियमों की जानकारी स्थानीय निकाय अधिकारियों-कर्मचारियों को न होने के कारण बहुत परेशानी पैदा हो रही है और मनमानी वसूली से नागरिक त्रस्त हैं। विभाग ने नियम पुस्तिका भी नवीनतम अपडेट्स के साथ जारी कर रखी है, लेकिन उसे भी दरकिनार कर वसूली का क्रम जारी है।

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