प्रांत का ग्रेनाईट उद्योग संकट के कगार पर – ARTIA , 1300 उद्योग तकलीफ में, 70 हजार के बेरोजगार होने की आषंका

जयपुर। अखिल राज्य ट्रेड इण्ड इण्डस्ट्री एसोसियेषन (आरतिया) ने एक विज्ञप्ति जारी करके बताया कि प्रांत का ग्रेनाइट उद्योग संकट के कगार पर है, वहां ग्रेनाइट ब्लॉक प्रोसेस कर निर्यात करने वाली 1300 से अधिक इकाइयां तकलीफ में आ गई हैं, जिनमें कार्यरत 70 हजार से अधिक लोगों के बेरोजगार होने की स्थिति आ गई है और इन इकाइयों में बैंकों की ओर से उधार दिया गया अरबों रूपैया अलग फंसता दिख रहा है। कारण है नेपाल में राज्य से जा रहा ग्रेनाइट ब्लॉक, अर्थात राजस्थान से ग्रेनाइट टाइल्स की बजाय कुछ इकाइयां खदानों से सीधे ब्लॉक का निर्यात कर रही हैं।
जालौर ग्रेनाइट एसोसियेषन का एक प्रतिनिधिमंडल आज जयपुर आया, आरतिया कार्यालय में प्रतिनिधिमंडल ने इस गंभीर विषय पर चर्चा की तथा इसे उच्च स्तर तक पहुंचाने के लिये आरतिया का सहयोग चाहा। इस मौके पर आरतिया के आषीष सर्राफ, कमल कंदोई, प्रेम बियाणी, रवि गोयल, राजीव सिंहल, ज्ञान प्रकाष और कैलाष षर्मा मौजूद थे।
प्रतिनिधिमंडल आरतिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाष शर्मा एवं ग्रेनाईट एसोसियेषन जालौर के अनिल टॉक के नेतृत्व में राजस्थान सरकार अभाव-अभियोग समिति के अध्यक्ष पुखराज पाराषर से मिला, उनके साथ राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल से मिला और बताया कि जालौर ही नहीं अजमेर, भीलवाड़ा, नागौर, राजसमंद समेत अनेक जिलों की पांच हजार से अधिक इकाइयों के सामने संकट है। इन इकाइयों का करोड़ों रूपैया अटक भी गया है। उत्पादन घटकर एक तिहाई रह गया है।
टॉंक ने बताया कि वर्तमान में नेपाल जाने वाली फिनिष्ड स्लैब गाड़ियों को नेपाल सीमा पर परेषानियों का सामना करना पड़ रहा है। ओवरलोड के नाम पर गाड़ियों से अनधिकृत वसूली भी की जा रही है, यह राषि न देने पर उनके साथ मारपीट भी की जा रही है। 42 टन पास माल परिवहन पास गाड़ियों को 35 टन माल लाने पर मजबूर किया जा रहा है। इसके विपरीत ब्लॉक लदी गाड़ियां 100 टन तक माल लेकर नेपाल जा रही है। इससे नेपाल में तो प्रोसेसिंग इंडस्ट्ी पनप रही है, लेकिन राजस्थान में संकटग्रस्त हो रही हैं।
सुबोध अग्रवाल ने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिया है कि राज्य में ग्रेनाइट प्रोसेसिंग इकाइयों के साथ अन्याय न हो, इसके लिए निष्चित रूप से कोई कदम उठायेंगे।
उल्लेखनीय है कि इस मसले को लेकर  राजस्थान ग्रेनाइट माईनिंग एसोसियेषन, किषनगढ़ मार्बल एसोसियेषन और जिला मार्बल कटर एसोसियेषन राजसमंद ने भी आवाज उठाई है।

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