राजस्थान में होली फैस्टीवल बन सकता है ग्लोबल इवेंट: ARTIA

जयपुर। होली केवल रंगों का त्यौंहार ही नहीं बल्कि विश्व भर की सांस्कृतिक परंपरा है। राजस्थान में होली के अवसर पर आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रम इतने विविधतापूर्ण हैं कि गर्मियों के आगमन के ठीक पहले राजस्थान को टूरिज्म का ग्लोबल डेस्टिनेशन बनाया जा सकता है। आरतिया के अध्यक्ष विष्णु भूत व मुख्य संरक्षक आशीष सर्राफ के अनुसार राजस्थान सरकार अपनी सांस्कृतिक विविधता का प्रसार और संवर्धन कर होली फैस्टीवल को ग्लोबल ईवेंट बना सकती है।

आरतिया के चेयरमैन कमल कंदोई और कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियाणी व नरेश चोपड़ा ने सुझाया है कि पहले चरण में राजस्थान के 50 होली मेलों-आयोजनों को चिन्हित किया जाये, जैसे ब्यावर की बादशाह होली, सांभर की नंदकेश्वर होली, शेखावाटी के चंग, बीकानेर की फागणा-फुटबाल, ब्रज की लट्ठमार होली, डांग की मीणावाटी संस्कृति, मेवाड़ के लोकगीत, मेड़ता-कुचामन के कुचामणी ख्याल आदि आदि। इन आयोजनों को देखने अभी तक तो इन इलाकों के स्थानीय लोग या प्रवासी राजस्थानी लोग ही सामान्यतः आते हैं। प्रवासियों की संख्या भी बहुत अधिक नहीं होती, जो इलाके से कनेक्ट रहते हैं वे ही पहुंच पाते हैं। जबकि पोटेंशियल इतना है कि देश भर से लोग होली फैस्टीवल्स का आनंद लेने राजस्थान आयें और विदेशी पर्यटक और प्रवासी भारतीय भी पहुंचें।

संरक्षक मुकेश शाह, जसवंत मील और रवि पुजारी के अनुसार 50 आयोजनों-स्थलों पर सबसे पहले तो राजस्थान सरकार का पर्यटन एवं संस्कृति विभाग आधारभूत सुविधाओं को परफैक्ट बनाने की दिशा में प्रयास करे, इसके लिए निजी निवेश भी आमंत्रित किया जा सकता है। दूसरे जो आयोजन होते हैं, वे अभी स्थानीय स्तर पर यथा-संभव किये जाते हैं। राजस्थान सरकार इन आयोजनों को वैश्विक स्तर का बनाने के लिए सभी तरह का प्रशिक्षण व प्रमोशन करे। इसके लिए प्रवासी राजस्थानी उद्योग-घरानों से स्पोंसरशिप ली जा सकती है या उन्हें आयोजन में प्रायोजक बनाया जा सकता है। तीसरी अहम बात यह कि आयोजन स्थल इस तरह के हों कि वहां देखने के लिए समुचित स्थान बाहर से आने वाले पर्यटकों-प्रवासियों आदि के लिए सुनिष्चित हों।

वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाष शर्मा, संजय पाराशर, सौरव शर्मा और सज्जन सिंह कहते हैं कि इसके लिए राजस्थान सरकार के पर्यटन विभाग का मेला प्राधिकरण पहल कर इन आयोजनों की वर्तमान स्थिति देखे, वस्तुस्थिति का अध्ययन करे, आयोजकों-स्थानीय लोगों से बातचीत कर वहां क्या और किया जाना चाहिये इसके बारे में इनपुट ले और तदनुसार रोड़मैप बनाकर आयोजन का आयाम बढ़ाये। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन आयोजनों के लिए सरकार की भूमिका केवल फैसिलिटेटर की रहे और निजी-सहयोग तथा जन-सहभागिता के आधार पर आयोजन किये जायें। स्थानीय लोगों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, अतः उनका सहयोग लिया जाये। अतिरिक्त महामंत्री अंकित खंडेलवाल कहते हैं कि 50 डेस्टीनेशन पर यदि परफैक्ट आयोजन हो जाये, तो पांच वर्ष के भीतर एक करोड़ से अधिक लोग इन फैस्टीवल्स को देखने के लिए राजस्थान के बाहर से आ सकते हैं। इतने लोगों के आने से राजस्थान की सांस्कृतिक विविधता के बारे में देश-विदेश में प्रचार होगा और राजस्थान की इॅकोनामी को बड़ा माईलेज मिलेगा, साथ ही राज्य सरकार की टूरिज्म एक्सपेंडीचर पर टैक्स के जरिये आमदनी भी बढेगी। इस तर्ज पर आगे अन्य त्यौंहारों और मेलों के लिए भी कार्य योजना बनाई जा सकती है।

फोटो कैप्शन: केन्या में राजस्थान एसोसियेषन ऑफ केन्या द्वारा आयोजित होली मिलन समारोह में एसोसियेशन अध्यक्ष और आरतिया के संरक्षक सोनवीरसिंह, भारत के डिप्टी हाई कमिश्नर रोहित वधवा व केन्या के सांसद वारियो ग्यो आधे व प्रवासी भारतीय तथा राजस्थान वासी।

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