ARTIA ने Ease of Doing Business के लिए अग्निशमन, पर्यावरणीय और नियामकीय सुधारों पर दिए ठोस सुझाव

जयपुर । भारत सरकार द्वारा “विकसित भारत 2047” की परिकल्पना को साकार करने के लिए राज्यों में व्यापक नियामकीय सुधारों की दिशा में ठोस पहल की जा रही है। इसी क्रम में कैबिनेट सचिवालय, भारत सरकार के तत्वावधान में आज एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता कैबिनेट सचिवालय में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारी श्री मनोज गोविल, आईएएस ने की। बैठक में राजस्थान सरकार की ओर से प्रमुख सचिव, उद्योग विभाग श्री अजीताभ शर्मा, आईएएस एवं आयुक्त उद्योग श्री रोहित गुप्ता, आईएएस उपस्थित रहे। इस उच्चस्तरीय विमर्श में राज्य के प्रमुख व्यापार और उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। ऑल राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्री एसोसिएशंस (ARTIA) की ओर से इस बैठक में भाग लेते हुए संगठन के रणनीतिक सलाहकार श्री अजय कुमार गुप्ता द्वारा उद्योगों की व्यवहारिक समस्याओं और समाधान आधारित सुझावों को प्रस्तुत किया गया।

श्री गुप्ता ने अग्निशमन एनओसी, पर्यावरणीय मंजूरी (CTE/CTO/EC), भूमि उपयोग, भवन स्वीकृति, श्रम सुधार और एकीकृत अनुमति पोर्टलों से जुड़े अनेक विषयों पर विस्तृत सुझाव साझा किए। उन्होंने कहा कि उद्योगों की प्रकृति के अनुसार अग्निशमन मानकों को निर्धारित किया जाना चाहिए ताकि कम और अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त प्रावधान सुनिश्चित किए जा सकें। Fire NOC से पूर्व मान्यता प्राप्त विशेषज्ञों द्वारा थर्ड पार्टी अग्नि जोखिम मूल्यांकन को अनिवार्य किया जाए और R&D लैब, रासायनिक इकाइयों जैसे उच्च जोखिम उद्योगों के लिए OISD जैसे तकनीकी मानकों को लागू किया जाए। पूरी प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाकर Fire NOC की वैधता अवधि भी बढ़ाई जानी चाहिए।

पर्यावरणीय मंजूरी के संदर्भ में ARTIA का सुझाव है कि उद्योगों को उनके कच्चे माल, प्रक्रियाओं और अपशिष्ट उत्पादन के आधार पर वर्गीकृत किया जाए तथा प्रदूषण नियंत्रण के लिए उपयुक्त तकनीकों की एक डिजिटल सूची तैयार की जाए, जिसमें लागत और प्रभावशीलता दोनों का उल्लेख हो। उन्होंने पर्यावरणीय अनुमतियों के लिए थर्ड पार्टी तकनीकी मूल्यांकन को अपनाने का सुझाव दिया, जिससे प्रक्रिया निष्पक्ष और तकनीकी रूप से उन्नत बन सके। साथ ही, उन्होंने इन प्रक्रियाओं को पूरी तरह डिजिटल बनाने और ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया।
समग्र नियामकीय सुधारों के संदर्भ में ARTIA ने कहा कि ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में मिश्रित भूमि उपयोग की अनुमति होनी चाहिए और भूमि उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया को समयबद्ध तथा GIS आधारित डेटाबैंक से युक्त किया जाना चाहिए। भवन स्वीकृति प्रणाली में भी FAR, सेटबैक और पार्किंग के नियमों में लचीलापन लाते हुए थर्ड पार्टी निरीक्षणकर्ताओं को अधिकृत किया जाना चाहिए। Completion Certificate की प्रक्रिया भी सरल, समयबद्ध और ऑनलाइन होनी चाहिए।
श्रम क्षेत्र में, ARTIA ने सुझाव दिया कि महिलाओं को उचित सुरक्षा उपायों के साथ रात्रिकालीन कार्य की अनुमति दी जाए, साथ ही श्रम नियमों को व्यावसायिक यथार्थ के अनुसार संशोधित किया जाए। बिजली, जल और भूजल जैसे बुनियादी कनेक्शनों के लिए एकीकृत पोर्टल उपलब्ध कराया जाए और सभी अनुमतियों में थर्ड पार्टी प्रमाणन को मान्यता दी जाए। छोटे और मध्यम जोखिम वाले व्यवसायों में थर्ड पार्टी निरीक्षण को अनिवार्य किया जाना चाहिए और अपराधमुक्तिकरण के तहत दंडात्मक प्रावधानों को युक्तिसंगत और सहूलियतपूर्ण बनाया जाना चाहिए। राज्य सिंगल विंडो पोर्टल को सभी विभागों की सेवाओं से पूर्ण रूप से एकीकृत करना समय की आवश्यकता है।

अंततः, ARTIA ने यह भी आग्रह किया कि केंद्र एवं राज्य सरकार मिलकर एक उच्च स्तरीय सुधार कार्यबल या समिति का गठन करें, जिसमें उद्योग संगठनों के प्रतिनिधि, तकनीकी विशेषज्ञ और प्रशासनिक अधिकारी सम्मिलित हों। इसके अतिरिक्त एक उद्योग मैत्री राज्य नीति बनाई जाए, MSME सेक्टर को “Zero Logistics Hub”, “Digital Subsidy Tracking” और न्यूनतम अनुपालन के आधार पर सहायता मिले तथा KPI आधारित निगरानी प्रणाली लागू की जाए जिससे सुधारों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जा सके।

ARTIA ने विश्वास व्यक्त किया कि इन सुझावों को क्रियान्वित कर राजस्थान को उद्योगों के लिए भारत का सबसे अग्रणी राज्य बनाया जा सकता है

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