राज्य सरकार बनाये धार्मिक स्थल नीति

जयपुर । आरतिया ने प्री बजट मीटिंग में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आग्रह किया है कि राजस्थान सरकार धार्मिक स्थल नीति बनाये, ताकि सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों का इस नीति के अनुसार नियमन किया जा सके। इस क्रम में यह भी सुझाया गया है कि प्रत्येक धार्मिक स्थल के कार्य-संचालन के
लिए 31 सदस्यों का एक मंडल बने, जिसमें गैर-राजनीतिक लोगों को षामिल किया जाये। ऐसे लोग इन मंडल में समाहित हों, जो इतिहासविद्, कारोबारी संगठनों से संबंधित, धर्म-प्रवीण आदि हों। प्रदेश में एक हजार से अधिक धार्मिक स्थल ऐसे हैं, जहां हर साल दस लाख से अधिक लोगों की आवाजाही होती है। ऐसे स्थलों का प्रबंधन बेहतर सुनिश्चित किया जाना समय की आवश्यकता है।
इस सिलसिले में पहले आरतिया की बैठक आयोजित कर बजट संबंधी मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें अध्यक्ष विष्णु भूत, मुख्य संरक्षक आशीष सराफ, मुख्य सलाहकार कमल कन्दोई, कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियानी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाश शर्मा, सलाहकार ज्ञानप्रकाश जी एवं डॉ. रमेश गांधी व उपाध्यक्ष विनोद शर्मा व  डॉ. रवि गोयल उपस्थित थे।
बजट के लिए यह भी सुझाया गया है कि सरकार नये निवेश प्रस्तावोंके क्लीयरेंस सिस्टम को पारदर्शी और त्वरित बनाये। सभी क्लीयरेंस अधिकतम एक माह में सुनिश्चित हों इसके लिए रोड़मैप बनाया जाये। राज्य में उद्योगों की स्थापना के लिए भूमि की उपलब्धता बहुत दुर्लभ और मुष्किल हो गई है। राज्य सरकार दो बातें सुनिश्चित करे, पहला तो रीको के भूखंडों की नीलामी न हो बल्कि आवंटन किया जाये। दूसरे निजी क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र स्थापना के लिए एक नीति बनाई जाये, ताकि निजी स्तर पर क्लस्टर विकास कार्य को गति मिल सके। इसी तरह प्रदेश स्तर पर जीएसटी सलाहकार परिषद का गठन करने, क्रेडिट गारन्टी स्कीम को सुचारू किये जाने, मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना में निवेश सीमा का प्रतिबंध हटाकर ब्याज सब्सिडी प्रक्रिया को सरल बनाये जाने, फायर शुल्क की दरें पडौसी राज्यों के समकक्ष करने सहित विभिन्न मांग रखी।

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