पवन ऊर्जा से बिजली उत्पादन को प्रोन्नत करे सरकार – ARTIA | नियमों एवं रेगूलेशन्स को बिजली उत्पादन हितेशी बनाये जाने की आवश्यकता, 233 नए पवन ऊर्जा संयत्र लगाने की तैयारी में सरकार

जयपुर दिनांक 20 जून 2023ः अखिल राज्य ट्रेड एण्ड इण्डस्ट्री एसोसियेशन (आरतिया) की एक बैठक आज आरतिया कार्यालय में सम्पादित हुई, जिसमें राज्य सरकार द्वारा पवन ऊर्जा द्वारा बिजली उत्पादन के लिये 233 नए पवन ऊर्जा संयत्र लगाये जाने के विषय पर चर्चा की गई, जिसमे इण्डियन विंड पावर एसोसियेशन की राजस्थान ईकाई के अध्यक्ष राजेन्द्र व्यास को आमंत्रित किया गया। इस अवसर पर आरतिया के मुख्य संरक्षक अशीष सराफ, मुख्य सलाहकार कमल कन्दोई, अध्यक्ष विष्णु भूत, कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियानी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाश शर्मा, आरतिया उपाध्यक्ष कैलाश खण्डेलवाल व गिर्राज खण्डेलवाल, इण्डियन विंड पावर एसोसियेशन के राजस्थान कोर्डिनेटर संतोष शर्मा एवं अन्य सदस्यों ने भाग लिया।
आरतिया के मुख्य संरक्षक आषीष सराफ ने बताया कि वर्ष दर वर्ष बढती हुई बिजली की मांग को देखते हुए बिजली उत्पादन हेतु कोयले पर निर्भरता को कम करने के लिये प्राकृतिक सोर्सेज यथा पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, ग्रीन एनर्जी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। इसके लिये पवन ऊर्जा एवं सौर ऊर्जा के माध्यम से यह प्रयास किये जाने चाहिये कि प्रत्येक घर अपनी आवश्यकता की बिजली का उत्पादन स्वयं करे तथा इसके लिये सौर ऊर्जा संयत्र स्थापित किये जाने हेतु दी जा रही सब्सिडी को सुचारू किया जाना चाहिये तथा सौर ऊर्जा की कुसुम योजना के समान इसी प्रकार की सब्सिडी पवन ऊर्जा संयत्रों को स्थापित किये जाने हेतु प्रदान की जानी चाहिये तथा इन योजनाओं की पूर्ण मॉनिटरिंग की जानी चाहिये। इससे कोयले द्वारा बिजली उत्पादन से होने वाले वायु प्रदूषण एवं अधिक लागत से बचा जा सकता है।
आरतिया के मुख्य सलाहकार कमल कन्दोई ने बताया कि भारत सरकार द्वारा हाल ही में दिनांक 15 जून को विश्व पवन ऊर्जा दिवस मनाया गया है एवं वैश्विक पवन ऊर्जा उद्योग ने एक टेरावॉट की स्थापना कर ली है तथा इसमें भारत का चौथा स्थान है व भारत सम्पूर्ण दुनिया में सबसे कम लागत पर परिपूर्ण उद्योग टरबाईन का निर्माण करता है।
आरतिया अध्यक्ष विष्णु भूत ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा 233 नए पवन ऊर्जा संयत्र लगाया जाना प्रस्तावित है, किन्तु सरकार को यह भी ध्यान रखना चाहिये कि जिस क्षेत्र में पवन चक्कियां लगाई जा रही है व करोड़ो रूपये का राजस्व सरकार को प्राप्त हो रहा है, उस क्षेत्र/गांव में मूलभूत सुविधाओं यथा बिजली, पानी, सडकें आदि का विकास आवश्यक रूप से किया जावे।
इण्डियन विंड पावर एसोसियेशन, राजस्थान ईकाई अध्यक्ष राजेन्द्र व्यास ने बताया कि वर्तमान में करीब 4338 मेगावाट बिजली का उत्पादन पवन उर्जा के माध्यम से हो रहा है तथा नए पवन ऊर्जा संयत्र लगाया जाना अत्यन्त हर्ष का विषय है। पवन ऊर्जा इनवेस्टर्स के समक्ष वर्तमान में बहुत परेशानियां है। सर्वप्रथम तो रिन्यूऐबल एनर्जी के सम्बन्ध में सरकार द्वारा अधिकारियों एवं व्यापारियों को साथ लेकर सबकी राय प्राप्त कर एक स्पष्ट नीति बनाई जानी चाहिये तथा इस नीति की एक अवधी फिक्स रखी जानी चाहिये व उस अवधी से पूर्व उसमें कोई भी नया परिवर्तन नहीं लाया जाना चाहिये। वर्तमान में आए दिन रेगूलेशन के माध्यम से नये-नये नियम इनवेस्टर्स पर लाद दिये जाते हैं, जिनकी अनुपालना बेहद कठिन हो जाती है तथा इससे इनवेस्टर्स को हानी उठानी पडती है। वर्तमान में डिस्कॉम्स् द्वारा शिड्यूलिंग एवं फोरकास्टिंग की अनिवार्यता प्रत्येक इन्वेस्टर पर डाली गई है, जिसमें इनवेस्टर्स को अपने स्तर पर किसी क्वालिफाईड कन्ट्रोलिंग एजेन्सी (क्यू.सी.ए) अपाईन्ट कर फोरकास्टिंग के डाटा डिस्कॉम्स् को उपलब्ध करवाये जाने है तथा फोरकास्टिंग डाटा में वेरियेशन आने पर इनवेस्टर्स पर पेनल्टी अधिरोपित की जा रही है, जो कि इनवेस्टर्स पर दोहरी मार है, एक तरफ तो वह क्यू.सी.ए. को फोरकास्टिंग हेतु फीस अदा करे तथा दूसरी तरफ पेनल्टी की मार भी सहे। ऐसे में यदि सरकारी स्तर पर क्यू.सी.ए. अपाईन्ट किया जावे तथा उनकी जिम्मेदारी तय की जावे तो इनवेस्टर्स को दोहरी मार नहीं सहनी पडेगी। इस बाबत सरकार द्वारा इनवेस्टर्स से प्रति मेगावाट की दर से शुल्क तय करके लिया जा सकता है।

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