भूजल का अति दोहन खतरनाक मुकाम परउद्योगों व खेती को जल संकट से बचायें: आरतिया

जयपुर। राजस्थान में भूजल का दोहन बहुत ही खतरनाक मुकाम पर पहुंच गया है, स्थिति बहुत चिंताजनक है और आवष्यकता इस बात की है कि उद्योगों और खेती को जल संकट से बचायें। अखिल राज्य ट्रेड एण्ड इण्डस्ट्रीज एसोसियेशन के मुख्य सलाहकार कमल कंदोई व वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाश शर्मा के अनुसार केंद्रीय भूमि जल बोर्ड तथा आईआईटी हैदराबाद द्वारा विकसित इंडिया ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज एस्टीमेशन सिस्टम के जरिये जारी नवीनतम रिपोर्ट में बताया गया है कि राजस्थान के 303 ब्लॉक्स में से 219 ब्लॉक्स ऐसे हैं, जहां भूजल की स्थिति अति-दोहित वाली श्रेणी में है, 22 ब्लॉक्स में विषम श्रेणी है, 20 ब्लॉक्स में अर्धविषम श्रेणी है। केवल 38 ब्लॉक्स ऐसे हैं जहां पानी के लिहाज से सेफजोन है और 3 ब्लॉक्स में पानी खारा है।

आरतिया के अध्यक्ष विष्णुभूत और मुख्य संरक्षक आशीष सर्राफ के अनुसार राजस्थान में जल-संचयन के लिए योजनाएं तो हैं, लेकिन उनका कार्यान्वयन प्रभावी नहीं है, तभी जल के अति-दोहन का क्रम जारी है। राजस्थान सरकार ने भूजल विभाग बना रखा है, जोधपुर में इसका कार्यालय है, जिसका वार्षिक बजट 81.18 करोड़ रूपये है। राज्य में जल-संचयन के लिए अटल भूजल योजना संचालित है, जिसके तहत 1189 करोड़ रूपये का प्रावधान सुनिश्चित है, लेकिन इस योजना का संचालन अभी तक अपेक्षित कार्य-परिणाम नहीं दे पाया है।

आरतिया के कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियाणी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सज्जनसिंह एवं गिरिराज खंडेलवाल कहते हैं कि सरकार इस प्रकरण की गंभीरता को समझे और जयपुर जिले की दूदू तहसील के गांव लापोड़िया में चलाये जा रहे जल-संरक्षण व संचयन मॉडल चौका पद्धति को पूरे प्रदेश में अपनाये। उल्लेखनीय है कि गांव लापोड़िया जल के लिहाज से आत्म-निर्भर है और इस गांव में कुओं से पानी निकालने के लिए रस्सी-बाल्टी की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि लोटे से झुक कर पानी निकाला जा सकता है। इस मॉडल के जरिये जल-संरक्षण में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए इस मॉडल के जनक लक्ष्मणसिंह को केंद्र सरकार ने हाल ही पदमश्री से सम्मानित भी किया है।

आरतिया के स्ट्रेटेजिक एडवाइजर ज्ञान प्रकाश और एडवाइजर प्लानिंग रमेश गांधी के अनुसार प्रदेश में औसत वर्षा विगत वर्ष 454 मिलीमीटर थी, जबकि भूजल-दोहन 683 सेंटीमीटर दर्ज किया गया अर्थात बारिश से जमीन को जितना पानी मिला, उसकी तुलना में 151 प्रतिशत से अधिक का दोहन हो रहा है। यह स्थिति निश्चित रूप से चिंताजनक है।

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