ARTIA ने की पुरजोर मांग, एयर एक्ट 1981 व वाटर एक्ट 1974 की पालना करे रीको

जयपुर। आल राज. ट्ेड एंड इंडस्ट्ीज एसोसियेषन ने उद्योग मंत्री राज्यवर्धनसिंह राठौड़ को पत्र लिखकर रीको को एयर एक्ट 1981 एवं वाटर एक्ट 1974 की पालना सुनिष्चित करने का निर्देष देने का आग्रह किया है। आरतिया के विष्णु भूत, आषीष सर्राफ, कमल कंदोई, प्रेम बियाणी, कैलाष षर्मा, राजीव सिंहल, सुनील गनेरीवाल, नारायणदास बीकानेर और अनिल सिंहल ने कहा है कि प्रदेष की 92 हजार एकड़ भूमि पर रीको ने 408 औद्योगिक क्षेत्र विकसित किये हैं, जिनमें 43 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां संचालित की जा रही हैं। पर तकलीफ वाली बात यह है कि रीको ने एक इंडस्ट्यिल कैटेलिस्ट के तौर पर वायु प्रदूषण निवारण और नियंत्रण अधिनियम 1981 तथा वाटर प्रीवेंषन एंड कंट्ांेल ऑफ पाल्यूषन एक्ट 1974 की अभी तक पालना सुनिष्चित नहीं की है, जबकि इसके लिए राजस्थान सरकार के प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से पत्रों के जरिये रीको को बार-बार ताकीद किया जाता रहा है।
आरतिया का कहना है कि जो औद्योगिक क्षेत्र विकसित किये हैं, वहां वायु एवं जल को स्वच्छ रखना रीको की भी जवाबदेही है। लेकिन रीको अपनी जवाबदेही का निर्वहन नहीं कर रहा। जहां तक बात प्रदूषण नियंत्रण मंडल की है, वह उद्यमियों पर तो कार्रवाई कर देता है लेकिन जवाबदेह रीको को अभी तक छोड़ा हुआ है। रीको ने प्रदेष के तमाम औद्योगिक क्षेत्रों को वायु एवं जल-प्रदूषण से मुक्त कर एयर एक्ट एवं वाटर एक्ट की पालना सुनिष्चित नहीं की है।
रीको के तमाम औद्योगिक क्षेत्रों में गंदगी पसरी पड़ी है, सड़केें टूटी हुई हैं, धूल उड़ती रहती है, बीकानेर के करणी औद्योगिक क्षेत्र की तो यह स्थिति है कि डेढ लाख वर्गमीटर क्षेत्र में गंदा पानी भरा हुआ है, यह रीको की जमीन है लेकिन इस गंदे पानी की निकासी आज तक सुनिष्चित नहीं की गई है। पूरे इलाके में सड़कों पर पानी भरा रहता है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने हाल ही 29 नवंबर 2023 को एक स्मरण पत्र के जरिये रीको को अपनी जिम्मेदारी याद दिलाई है, इसके पूर्व 25 अगस्त 2023 तथा 8 नवंबर 2023 को भी पत्र लिखे हैं, लेकिन रीको का प्रबंधन कुछ नहीं कर रहा। नतीजा रीको के औद्योगिक क्षेत्र जल एवं वायु प्रदूषण के केंद्र बन गये हैं।
आरतिया ने राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को प्रेषित पत्र में निवेदन किया है कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता की बात कह रहे हैं, प्रचारित कर रहे हैं, लेकिन रीको स्वच्छता पर बिलकुल फोकस नहीं कर रही, बल्कि लाभ कमाने वाली संस्था बन कर रह गई है। विगत तीन वित्त वर्ष के दौरान रीको ने 1885 करोड़ रूपये का षुद्ध लाभ कमाया है, लेकिन औद्योगिक क्षेत्रों में स्वच्छता को लेकर कोई प्रभावी कार्य नहीं किया है।

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