ARTIA ने किया चिंतन क्या इनवेस्ट राजस्थान की सफलता को भुना पायेगा राजस्थान, राज्य की न्याय व कानून व्यवस्था को ‘‘हाईटैक इंटेलीजेंस सिस्टम’’ द्वारा अधिक सुदृढ़ किया जावे ‘‘साईबर क्राईम पिव्रेंषन एवं रेगूलेषन एक्ट’’ बनाये जाने की रखी मांग

जयपुर दिनांक 15 दिसम्बर 2022ः अखिल राज्य ट्रेड एण्ड इण्डस्ट्री एसोसियेषन (आरतिया) की एक बैठक का का आयोजन आज आरतिया कार्यालय में किया गया, जिसमे राज्य में वर्तमान न्याय व कानून व्यवस्था पर चिंतन किया गया तथा इसे अधिक प्रभावी बनाने एवं इनवेस्ट राजस्थान के माध्यम से हुए एम.ओ.यू. के धरातल पर लाने व इससे जुडी समस्याओं पर मंथन किया गया। इस बैठक में आरतिया के विष्णु भूत, आषीष सराफ, कमल कन्दोई, प्रेम बियानी, नरेष चौपड़ा, कैलाष खण्डेलवाल, डॉ. रवि गोयल, उमाषंकर अग्रवाल, योगेन्द्र गुप्ता, एच.एम. जौहरी व अन्य पदाधिकारियों ने भाग लिया।
राजस्थान सरकार द्वारा राज्य के विकास को पंख लगाने के उद्देष्य से इन्वेस्ट राजस्थान का आयोजन बेहद बेहतरीन तरीके से किया गया तथा हजारों करोड के निवेष एम.ओ.यू. किये गये, जिससे की राज्य के विकास को गति प्राप्त हो सके।
राज्य सरकार द्वारा न्याय एवं कानून व्यवस्था को बनाये रखने की दिषा में काफी प्रभावी कार्य किया जा रहा है, किन्तु फिर भी आए दिन रंगदारी, वसूली, धमकी, हत्या के मामले होते रहते है, जिससे आम नागरिक तो दहषत में रहता ही है। गत कुछ समय में राज्य के व्यापारियों के साथ बहुत घटनाऐं घटित हुई है, जिनमें लूट एवं हत्या तक कर दी गई। राज्य की घटनाओं को देखते हुये जिन बडे कॉपोरेट एवं उद्योगपतियों द्वारा इनवेस्ट राजस्थान के माध्यम से एम.आ.ेयू. साईन किये गये थे, वे भी अपनी प्रोजेक्ट लगाने से पूर्व कई बार सोचेंगे। अतः न्याय एवं कानून व्यवस्था को और बेहतर बनाने हेतु ‘‘हाईटैक इंटेलीजेंस सिस्टम’’ राज्य सरकार को कडे कदम उठाये जाने चाहिये, जिसमें प्रमुख है सभी बाजारों एवं चौराहों पर नाईट विजन कैमरें लगाना एवं उनकी लगातार देखभाल करना ताकि अपराधियों में डर रहे। गष्ती दलों को बढाना एवं तत्पर कार्यवाही करना, किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिये आधुनिक तरीकों को अपनाना। यदि राज्य की कानून व्यवस्था को अधिक सुदृढ नहीं किया गया तो आम नागरिकों में असंतोष व्याप्त होगा ही, साथ ही राज्य में आने वाले नये निवेष पर भी विपरीत असर पडेगा।
साथ ही आरतिया ने पूर्व में सूचना प्रोद्योगिकी, गृह मंत्रालय एवं कानून मंत्रालय से आग्रह किया है कि वर्तमान में साईबर क्राईम से जुडे ज्यादातर मामले आई.टी. एक्ट 2000 की धारा 43, 65,66,67 व आई.पी.सी. की धारा 420, 120बी और 406 के अन्तर्गत चलाये जाते हैं। वर्तमान में डिजीटलाईजेषन की जो रफ्तार है तथा आज प्रत्येक व्यक्ति दैनिक लेन-देन से लेकर व्यापार तक में डिजीटल माध्यमों को उपयोग करता है तो ऐसे में ठगी की वारदातें एवं उसके प्रकार दिन-ब-दिन बढते जा रहे हैं। इसलिये ‘‘आरतिया’’ द्वारा सूचना प्रोद्योगिकी, गृह मंत्रालय एवं कानून मंत्रालय से आग्रह किया गया है कि आई.टी. एक्ट एवं आई.पी.सी. एक्ट की धाराओं को सम्मिलित करते हुये भारत में ‘‘साईबर क्राईम पिव्रेंषन एवं रेगूलेषन एक्ट’’ बनाया जावे ताकि ऑनलाईन ठगी एवं साईबर क्राईम के पीड़ितों को एक समय सीमा में जल्द से जल्द न्याय मिल सके, साथ ही साईबर क्राईम एवं इससे बचने के लिये लोगों को विभिन्न कार्यषालाओं, सेमिनार्स आदि के माध्यम से जागरूक किया जावे तथा इसके लिये देष एवं राज्य के व्यापारिक संगठनों एवं एसोसियेषन्स् को साथ लेकर एक गहन जागरूकता कार्यक्रम पखवाडा चलाया जावे।
लोकसभा में सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रषेखर द्वारा साईबर क्राईम की घटनाओं के आंकडों को देखा जावे तो वर्ष 2017 में 41,378 घटनाओं से 2021 तक 14.02 लाख घटनाऐं बढना बहुत ही चिंतनिय विषय है। यहां यह उल्लेखनीय है कि यह आंकडे मात्र वह है, जो कि रिपोर्ट होते हैं। इसके अतिरिक्त इससे तिगुने मामले ऐसे होंगे, जो कि रिपोर्ट नहीं हो पाते हैं। हालांकि राज्यमंत्री ने रोकथाम के कई कदम उठाये जाने का आष्वासन भी दिया है। आरतिया द्वारा राज्य सरकार से आग्रह किया गया है की सरकार के माध्यम से भी ‘‘साईबर क्राईम पिव्रेंषन एवं रेगूलेषन एक्ट’’ बनाये जाने की पैरवी की जानी चाहिये, जिससे साईबर क्राईम पर लगाम लगाई जा सके।

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