भामाशाहों के लिए बने परफेक्ट तंत्र: ARTIA

जयपुर। आल राज. ट्रेड एंड इंडस्ट्रीज एसोसियेशन ने राजस्थान सरकार से आग्रह किया है कि प्रदेश के शिक्षा-चिकित्सा क्षेत्र के आधारभूत विकास तथा संसाधन जुटानेे में अब तक भामाशाहों का उल्लेखनीय योगदान रहा है। यह योगदान आगे बहुत बढ़ सकता है लेकिन इसके लिए सरकार इन भामाशाहों को मान-सम्मान और प्रिविलेज दे। आरतिया के अध्यक्ष विष्णु भूत, मुख्य संरक्षक अशीष सर्राफ का कहना है कि राजस्थान के हर इलाके में भामाशाहों ने स्कूल-अस्पताल व कॉलेज की इमारतें बना कर दी हैं तथा आवश्यक संसाधन भी जुटाकर देते हैं। ऐसे में सरकार की जिम्मेदारी भी बनती है कि इन सभी भामाशाहों के लिए एक परफेक्ट तंत्र विकसित करे।
आरतिया के मुख्य सलाहकार कमल कंदोई व कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियाणी कहते हैं कि राजस्थान सरकार की प्रमुख एजेंसी राजस्थान फाउंडेशन के यहां ऐसा प्रकोष्ठ बने, जो भामाशाहों से समन्वय करे। इसके अलावा भामाशाहों को ऐसा प्रिविलेज मिलना चाहिये, जिसके जरिये प्रशासन में उनकी बात को प्राथमिकता से सुना जाये। अर्थात पंचायत समिति विकास अधिकारियों, तहसीलदार-उपखंड अधिकारियों, नगरपालिका अधिषासी अधिकारियों को निर्देश रहें कि वे भामाशाहों की बात को वरीयता दें और उनके आने पर उनका यथोचित मान-सम्मान करें। इससे सरकारी तंत्र व भामाशाहों के बीच न केवल समन्वय विकसित होगा, बल्कि भामाशाह और अधिक करने के लिए प्रेरित होंगे।
संरक्षक जसवंत मील व वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाश शर्मा का कहना है कि भामाशाहों के सहयोग से जो संपदा सृजित की जाती है, उसका पूरा रख-रखाव किया जाना चाहिये, उसे नष्ट या खुर्द-बुर्द होने से बचाया जाये। इसी तरह राजस्थान सरकार वह संपदा व संसाधन चिन्हित भी करे जिसमें भामाशाहों का योगदान रहा है। ऐसी संपदा के देख-रेख के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग व अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी पखवाड़े या माह में एक बार विजिट अवश्य करें।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश चौपड़ा और सौरभ शर्मा का कहना है कि राजस्थान में अभी अनेक क्षेत्र ऐसे हैं जहां भामाशाह बहुत अच्छा काम कर सकते हैं और राज्य के सामाजिक आधारभूत ढांचे के विकास में उल्लेखनीय योगदान दे सकते हैं। इस तरह के कार्यों को करवाने के लिए उपखंड स्तर पर उपखंड अधिकारी की अध्यक्षता में एक समन्वय समिति बने, जिसमें इलाके के व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारियों, क्षेत्रीय भामाशाहों को शामिल किया जाये। इस समिति की हर माह बैठक हो, जिसमें भामाशाहों के सहयोग से किये जाने वाले काम-काज पर डिसकस हो। इसी तरह अनेक काम ऐसे हैं, जो पीपीपी मॉडल पर किये जा सकते हैं, उनके लिए भामाशाहों का सहयोग कैसे लिया जाये, इसके लिए रोड़-मैप बनाया जाना चाहिये।

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