ARTIA ने सुझाया: राजस्थान को जरूरत बजटीय रिफार्म की

ARTIA Rajasthan Budget Reform

लैंड रैवेन्यू टैक्स, वाहनों पर कर व विद्युत शुल्क हो समाप्त

जयपुर। आल राज. ट्रेड एंड इंडस्ट्री एसोसियेशन ने सुझाया है कि राजस्थान के विकास को गतिशील करने के लिए स्टेट बजटीय रिफार्म की जरूरत है। उपमुख्यमंत्री दीयाकुमारी ने लेखानुदान प्रस्तुत करते समय इकोनॉमिक रिवाईवल टास्क फोर्स बनाने की बात कही थी, वह फोर्स गठित हो। इस फोर्स के जिम्मे राज्य सरकार के बजटीय रिफार्म का काम भी हो। यह बात आज आरतिया की एक महत्वपूर्ण बैठक में मुख्य रूप से उठी। बैठक मे विष्णु भूत, आशीष सर्राफ, कमल कंदोई, प्रेम बियाणी, ज्ञान प्रकाश, अजय गुप्ता, कैलाश शर्मा, दिनेश गुप्ता, राजीव सिंहल व सचिन अग्रवाल समेत प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित थे।

टीम आरतिया का कहना है कि राज्य सरकार सबसे पहले कर-सुधार अर्थात टैक्स रिफार्म पर फोकस करे। चार करों लैंड रैवेन्यू टैक्स, वाहनों पर कर, विद्युत शुल्क और संपदा कर को समाप्त किया जाये। लैंड रैवेन्यू टैक्स किसानों से लिया जाता है जिससे 721 करोड़ रूपये की रैवेन्यू का अनुमान है, जब सरकार कृषि क्षेत्र में 90 हजार करोड़ रूपये व 1400 करोड़ रूपये किसान सम्मान निधि पर खर्च कर रही है, तो लैंड रैवेन्यू टैक्स का यह बोझ किसानों के सिर से हटाया जाये। इसी तरह 8100 करोड़ रूपये के वाहन टैक्स को हटाना भी लाजिमी है, क्योंकि वाहन धारकों सें सरकार डीजल-पेट्रोल पर विभिन्न करों तथा टोल टैक्स के जरिये भारी टैक्स पहले ही वसूल कर रही है। विद्युत शुल्क की व्यवहारिक दृष्टि से कोई प्रासंगिकता नहीं है, क्योंकि बिजली तो सरकार की तरफ से उपभोक्ताओं को देय शिक्षा-चिकित्सा व जल की तरह एक सामाजिक सेवा है। इस पेटे आम जन को 3500 करोड़ रूपये ही राहत आम जन को मिल सकेगी। इसी तरह संपदा कर से मात्र 300 करोड़ रूपये की वसूली होती है और यह टैक्स भी व्यवहारिक नहीं बल्कि वैल्थ-क्रियेशन की राह में अड़चन भी है।

टीम आरतिया ने अपनी स्टडी रिपोर्ट में सुझाया है कि राजस्थान सरकार में अनेक विभागों की व्यवहारिक आवष्यकता है या नहीं इसकी स्टडी राज्य सरकार भी अपने स्तर पर करे। जैसे श्रम विभाग है, इसका बजट 1932 करोड़ रूपये का है, इसके तीन कंपोनेंट हैं पहला 721 करोड़ रूपये निर्माण श्रमिक सहायता का, दूसरा रोजगार निदेशालय जिसका बजट है 885 करोेड़ रूपये और तीसरा शिल्पकार प्रशिक्षण। इसमेें निर्माण श्रमिक सहायता का जिम्मा स्थानीय निकाय व पंचायत समितियों के सुपुर्द किया जा सकता है और रोजगार निदेशालय को उच्च शिक्षा विभाग के अधीन किया जा सकता है। शिल्पकार प्रशिक्षण बजट 265 करोड़ रूपये है, यह काम कला-संस्कृति विभाग के जरिये किया जा सकता है। इस तरह श्रम विभाग समाप्त कर इसके कंपोनेंट अन्य विभागों को ट्रांसफर हों।

आरतिया पदाधिकारियों का कहना है कि सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण विभाग के लिए बजटीय प्रावधान 17160 करोड़ रूपये का है, जिसमें 15916 करोड़ रूपये की राशि सीधे पंचायती राज विभाग को ट्रांसफर की जाती है। केवल स्टेट से मिले पैसे को ट्रांसफर करने का काम यह विभाग करता है, बेहतर है कि सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण विभाग के समस्त दायित्व पंचायती राज विभाग को ट्रांसफर कर दिये जायें और इस विभाग को समेट दिया जाये। आरतिया ने देवस्थान विभाग का भी जिक्र किया है और कहा है कि इसका वार्षिक बजट मात्र 66 करोड़ रूपये है, इसमें भी 28 करोड़ रूपये का प्रावधान कैलाश मानसरोवर यात्रियों कोे अनुदान के लिए है। विभाग का प्रशासनिक बजट 25 करोड़ रूपये है। मोटे तौर पर विभाग का काम केवल अनुदान वितरण तक ही सीमित है। बेहतर है यह काम कला-संस्कृति विभाग के जरिये निष्पादित हो और इस देवस्थान विभाग को समाप्त किया जाये। इस तरह सुधार की बहुत सी संभावनाएं बजट में दृष्टिगत होती हैं।

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