असंगठित कारोबार की सुध ले सरकार

जयपुर। देष में असंगठित क्षेत्र का कारोबारी इस समय अर्ध-बेरोजगारी झेल रहा है और बेरोजगारी की तरफ उन्मुख है। इस कारोबारी की व्यथा सुनकर तदनुसार कोई पहल करना इसलिए जरूरी है कि देष की 80 प्रतिषत से अधिक श्रमषक्ति इस क्षेत्र में ही नियोजित है। यह कारोबारी यदि अपना काम समेटता है, तो देष की काम-काजी जनषक्ति बड़े पैमाने पर बेरोजगार हो जाने का खतरा है। यह कहा है टीम आरतिया ने और केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि असंगठित क्षेत्र के व्यवसाय की दिक्कतों और असलियत को समझे और एक टास्क फोर्स बनाकर उनकी समस्याओं का समाधान करे, ताकि देष बेरोजगारी की बड़ी मार से बच सके।

आरतिया के अध्यक्ष विष्णु भूत, संरक्षक आषीष सर्राफ, चेयरमैन कमल कंदोई, एडवाईजर ज्ञान प्रकाष, कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियाणी और वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाष षर्मा ने कहा है कि देष के व्यापार पर कब्जा करने के लिए संगठित क्षेत्र अर्थात कॉर्पोरेट जगत सतत सक्रिय है और रिटेल में डीप लेवल तक अपनी पहुंच बना रहा है। चूंकि खुली अर्थ-व्यवस्था का दौर है और किसी तरह की बंदिष नहीं है, आपसी प्रतिस्पर्धा है, जिसका लाभ लेकर संगठित क्षेत्र ने असंगठित क्षेत्र की बाजार भागीदारी पर कब्जा करना षुरू कर दिया है। आनुपातिक लिहाज से यह षुरूआत भले ही कम हो, लेकिन इसने देष की ग्रामीण-कस्बाती और अर्ध-षहरी बाजारों ही नहीं बल्कि महानगरों के दुकानदारों को भी चपेट में ले लिया है।

 

स्थिति यह है कि इन छोटे दुकानदारों के यहां कारोबार का आकार घट गया है, आमदनी घटने लगी है। ये दुकानें चंूकि पीढी-दर-पीढी चलती आ रही थी, अब काम घटने से कमाई नहीं हो रही, जिस कारण परिवार का पेट पालना मुष्किल हो गया है। देष में एक करोड़ से अधिक लोग असंगठित क्षेत्र में व्यवसाय करते हैं और इनके यहां नियोजन बहुत बड़ा है। अब चूंकि खुद का पेट पालना मुष्किल हो गया है, तो इनके यहां कार्यरत श्रमिकों-कर्मचारियों-मुनीमों आदि को हटाया जाने लगा है। नतीजा वे भी बेरोजगारी भुगतने के लिए अभिषप्त हैं।

आरतिया ने कहा है कि खुले बाजार की प्रतिस्पर्धा अपनी जगह ठीक है, लेकिन किसी अल्प-आय वर्ग के रोजगार की कीमत पर नहीं। इस प्रतिस्पर्धा के कारण कारोबारी ही नहीं बल्कि उसका श्रमिक भी आर्थिक रूप से कमजोर हो रहा है। खुली अर्थ-व्यवस्था का यह मकसद तो नहीं था। केंद्र सरकार इस स्थिति के मर्म को समझें, एक टास्क फोर्स बनाये और वह टास्क फोर्स यह देखे कि वर्तमान परिस्थिति में और आने वाले समय की चुनौतियों को दृष्टिगत रखते हुए क्या किया जा सकता है। इसके लिए जिला स्तर पर अर्ध-षहरी और कस्बाती इलाकों के व्यापारियों की स्थिति का अध्ययन किया जाये। जिलों से रिपोर्ट मंगवा कर वस्तु-स्थिति देखी जाये और फिर एक फार्मूला तय किया जाये, ताकि इस क्षेत्र को बेरोजगारी की मार से बचाया जा सके।

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