वर्तमान औद्योगिक क्षेत्रों का हो पूर्ण विकास एवं सौन्दर्यीकरण – ARTIA उत्पादन क्षमता/दक्षता, रोजगार प्रदान करने एवं राजस्व प्राप्ति के आधार पर हो औद्योगिक भूमि का आवंटन
जयपुर: दिनांक 10.06.2023: अखिल राज्य ट्रेड एण्ड इण्डस्ट्री एसोसियेशन (आरतिया) की कोर कमेटी की एक बैठक कार्पोरेट कार्यालय बाईस गोदाम पर आयोजित हुई जिसमें व्यापार व उद्योग के विकास सम्बन्धी विभिन्न मुद्दों एवं रीको की कार्यप्रणाली के संदर्भ में विस्तृत चर्चा हुई, जिसमें अध्यक्ष विष्णु भूत, मुख्य सलाहकार कमल कन्दोई, कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियानी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश चौपड़ा व कैलाश शर्मा, उपाध्यक्ष आनन्द कैंया व लखन गोयल ने भाग लिया।
आरतिया के मुख्य सलाहकार कमल कन्दोई ने बताया कि बजट घोषणाओं के सफल क्रियान्वयन के उद्देष्य से उद्योगमंत्री राजस्थान सरकार द्वारा रीको इकाई प्रभारियों के साथ बजट घोषणा की प्रगति की समीक्षा बैठक ली गई थी, जिससे राज्य का औद्योगिक विकास तेजी से हो सके व बजट घोषणाऐं शीघ्रातिशीघ्र धरातल पर आयें। उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में आरतिया द्वारा माननीया उद्योगमंत्री जी को एक प्रतिवेदन भेज कर नये औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ वर्तमान में कार्यरत औद्योगिक क्षेत्रों में आ रही समस्याओं को भी वरियता से हल करवाये जाने का आग्रह किया गया है।
आरतिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश चौपडा एवं कैलाश शर्मा ने बताया कि रीको द्वारा पूर्व में आवंटी द्वारा लीज डीड रजिस्ट्री नहीं कराने पर पैनल्टी लगाई गई है उसे एमनेस्टी स्कीम में शामिल किया जाना चाहिये। इसके अतिरिक्त भारत सरकार व राजस्थान सरकार द्वारा गोदाम व वेयर हाउस को इण्डस्ट्री का दर्जा दे दिया गया है किन्तु रीको द्वारा इसे अभी तक इण्डस्ट्री नहीं माना जाता है, जिसकी अनुपालना करवाया जाना भी बेहद आवश्यक है। इसी प्रकार लैण्ड एण्ड बिल्डिंग टैक्स के माध्यम से रीको द्वारा सुविधा व शुल्क वसूल किया जाता है तो नगर निगम द्वारा इन पर यू.डी. टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिये तथा हाल ही में फ्यूल सरचार्ज पर की गई बढोतरी को वापस लिया जाना चाहिये तथा जिस प्रकार जेडीए द्वारा एकमुश्त राशि लेकर फ्री-होल्ड पट्टा दिया जाता है, उसी प्रकार रीको द्वारा भी एकमुश्त राशि लेकर फ्री-होल्ड पट्टा दिया जाना चाहिये।
आरतिया के उपाध्यक्ष आनन्द कैंया ने बताया कि नये औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना से पूर्व वर्तमान औद्योगिक क्षेत्रों में सुविधाओं को सुचारू किया जाना बेहद आवश्यक है। 50 वर्ष से अधिक समय व्यतीत हो जाने पर भी औद्योगिक क्षेत्रों में सीवर लाईन नहीं है तथा रीको केवल बडे-बडे व चौडे रोड पर ही हमेशा कार्य करता है अन्दर वाली रोडों की कोई सार सभांल नहीं होती है। अतः इस पर विशेष कार्य किया जाना चाहिये जिससे औद्योगिक क्षेत्रों के अन्दर की रोडों पर भी विकास कार्य हो और उन्हें दुरूस्त किया जावे, सीवर लाईन डाली जावे, पेड पौधे लगाये जावें व उनका सौन्दर्यीकरण किया जावे।
आरतिया उपाध्यक्ष लखन गोयल ने बताया कि रीको की स्थापना के पीछे उद्देश्य यह था कि राज्य में औद्योगिक वातावरण को प्रोत्साहित करने के लिये नो प्रोफिट-नो लॉस पर भूमि का आवंटन किया जावे, किन्तु रीको द्वारा वर्तमान में औद्योगिक प्लाटों को ऑक्शन के माध्यम से दिया जा रहा है, जिसके कारण नये उद्योगों का लगना मुश्किल हो रहा है, चूंकि वे अधिक बोली लगाने में असमर्थ होते हैं और एक नया उद्योग लगने से पूर्व ही खतम हो जाता है, जिसके लगने से कई लोगों को रोजगार मिल सकता था। अतः प्लाटों का आवंटन एक निर्धारित दर पर फिक्स किया जाना चाहिये, जिससे नये व्यापार व उद्योग के अवसर बढे।
आरतिया के कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियानी ने बताया कि वर्तमान समय में किसी भी उद्योग को स्थापित करने के लिये एक बडी पूंजी का निवेश होता है तथा इस निवेश में जो सबसे बडा हिस्सा होता है वह भूमी पर होता है तथा इस कारण नया उद्योग नहीं पनप पाता है, जिससे राज्य का निवेश तो प्रभावित होता ही है, साथ साथ रोजगार व राजस्व भी विपरीत रूप से प्रभावित होते हैं। अतः इस संदर्भ में औद्योगिक नीतियों में संशोधन करते हुये इस प्रकार की व्यवस्था की जानी चाहिये कि यदि कोई नया निवेशक कोई उद्योग स्थापित करना चाहता है तथा सभी कम्पलाईंसेज को पूर्ण करता है तो उसे एक निश्चित दर पर प्रारम्भ में भूमि लीज पर दी जा सकती है, तथा उसकी उत्पादन क्षमता/दक्षता, रोजगार प्रदान करने एवं राजस्व प्राप्ति से लिंक करके, उसे उसकी पात्रता के अनुसार भूमी आवंटित कर दी जावे तो निश्चित रूप से राज्य के निवेश, रोजगार एवं राजस्व में वृद्धि होगी।