भारत सरकार के स्वदेशी अभियान से राजस्थान के हस्तशिल्प और वस्त्र उद्योग में आ सकता है बड़ा बदलाव
जयपुर। भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा देश में हथकरघा, हस्तशिल्प और वस्त्र उत्पादों की घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिए प्रारंभ किए गए स्वदेशी अभियान से राजस्थान के हस्तशिल्प और वस्त्र उद्योग में बड़ा परिवर्तन आने की संभावना है। यह आकलन टीम आरतिया की एक मंथन बैठक में किया गया।
बैठक में विष्णु भूत, कमल कंदोई, आशीष सर्राफ, जसवंत मील, प्रेम बियाणी, कैलाश शर्मा, सज्जन सिंह, ओ.पी. राजपुरोहित, अजय गुप्ता, ज्ञान प्रकाश, रमेश गांधी, राजीव सिंघल, दिनेश गुप्ता, विक्रम सर्राफ, हरिमोहन जौहरी, आयुष जैन आदि पदाधिकारी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने देश में विशेष रूप से शहरी युवाओं और जेन-ज़ी पीढ़ी के बीच घरेलू मांग को प्रोत्साहित करने, राष्ट्रीय पहचान के रूप में वस्त्र विरासत को शामिल करने, उत्पादकों एवं एमएसएमई को सशक्त बनाने और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के अनुरूप यह पहल की है।
सरकार का उद्देश्य भारतीय वस्त्रों को गर्व और शैली के प्रतीक के रूप में पुनः स्थापित करना है — विशेषकर युवाओं और शहरी-कस्बाई उपभोक्ताओं के बीच। साथ ही बुनकरों, कारीगरों और कपड़ा उद्योग से जुड़े एमएसएमई के लिए बाजार पहुंच और अवसरों का विस्तार करना भी इस अभियान का मुख्य लक्ष्य है। वस्त्र उद्योग के लिए पीएलआई योजना, पीएम मित्र पार्क जैसी पहलों के साथ इस अभियान को एकीकृत किया गया है। यह अभियान अगले वर्ष जून तक चलेगा। इस अवधि में विभिन्न आयोजनों, सामाजिक कार्यक्रमों और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स के माध्यम से भारतीय वस्त्रों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाएगी।
टीम आरतिया का कहना है कि “स्वदेशी कपड़ा — देश की शान, यही है भारत की पहचान” के नारे के साथ चलने वाला यह अभियान राजस्थान के कपड़ा, हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग के लिए एक बड़े बूस्टर के रूप में सिद्ध हो सकता है।
राजस्थान में इस अभियान का अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन और ब्रांडिंग पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि राजस्थान सरकार हैंडलूम, हस्तशिल्प और वस्त्र उद्योग — इन तीनों क्षेत्रों में ब्रांडिंग और डिज़ाइन के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करे, तो प्रदेश के उद्योगपतियों एवं कारीगरों को अत्यधिक लाभ होगा, जिससे वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एक महत्वपूर्ण स्थान बना सकते हैं।
जेन-ज़ी, शहरी उपभोक्ता और वैश्विक बाजार — इन तीनों के लिए उत्पाद की डिज़ाइन और ब्रांड वैल्यू अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। बिना ब्रांड के कोई भी उत्पाद लंबे समय तक टिक नहीं सकता। अतः सरकार को इस दिशा में द्विस्तरीय पहल करनी चाहिए —
1.पहले स्तर पर, उन उद्यमियों को प्रोत्साहन देना जो अपना ब्रांड विकसित करना चाहते हैं।
2.दूसरे स्तर पर, उन ब्रांड्स को सहयोग देना जो पहले से स्थापित हैं और उन्हें और अधिक प्रमोट करना चाहते हैं।
इससे राजस्थान के पारंपरिक परिधान और शैली को भी बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा तथा राज्य का वस्त्र व्यापार नई ऊँचाइयों को छू सकेगा। राजस्थान का पहनावा मान-सम्मान और परंपरा का प्रतीक है; इसलिए यह सभी वर्गों में अत्यंत लोकप्रिय हो सकता है। निःसंदेह यह अभियान राजस्थान के वस्त्र उद्योग को नई दिशा देने वाला साबित होगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष देश के वस्त्र बाजार का आकार 179 अरब डॉलर था, जो सामान्यतः 7 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2030 तक यह बाजार 250 अरब डॉलर से अधिक का हो सकता है। जीएसटी सुधारों के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वस्त्र एवं परिधानों की मांग में वृद्धि होगी, जिसका सीधा लाभ देश के कपड़ा उद्योग को मिलेगा।
