मोटे अनाज (मिलेट्स) की खपत बढ़ाने के लिए हो सार्थक प्रयास – ARTIA

जयपुर। जन स्वास्थ्य को दृष्टिगत रखते हुए राजस्थान में मोटे अनाज (मिलेट्स) की खपत को प्रौत्साहित करने के लिए राज्य सरकार के स्तर पर सार्थक प्रयासों की जरूरत है। अखिल राज्य ट्रेड एंड इंडस्ट्री एसोसियेशन की एक मीटिंग कार्पोरेट कार्यालय में सम्पन्न हुई जिसमें आरतिया अध्यक्ष विष्णु भूत, चैयरमेन कमल कन्दोई, मुख्य संरक्षक आशीष सराफ, कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियानी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाश शर्मा, उपाध्यक्ष दिनेश गुप्ता, सलाहकार ज्ञानप्रकाश व अन्य पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। आरतिया के अध्ययन के अनुसार राजस्थान में मोटे अनाज की खपत गेहूं की तुलना में बहुत कम है। राजस्थान के ग्रामीण इलाकों मंे अनाज की कुल खपत प्रति व्यक्ति 10.55 किलोग्राम मासिक है, जिसमें गेहूं की 84.77 प्रतिषत और मोटे अनाज की मात्र 11.52 प्रतिशत है। इसी तरह शहरी इलाकों में प्रति व्यक्ति मासिक खपत 9.50 किलो है, जिसमें 93.47 प्रतिशत गेहूं तथा मात्र 1.20 प्रतिशत मोटे अनाज की है।
आरतिया का कहना है कि प्रदेश में जितने भी होटल-रेस्टोरेंट आदि हैं, उनमें मोटे अनाज से उत्पादित खाद्य उत्पादों की अनिवार्य बिक्री सुनिष्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किये जायें, साथ ही ऐसे खाद्य उत्पादों के निर्यात को प्रौत्साहित किया जाना चाहिये। साथ ही राज्य सरकार द्वारा अध्ययन किया जाना चाहिये कि मोटे अनाज से वैष्विक गुणवत्ता मानदंडों के अनुरूप ऐसे कौन से उत्पाद बनाये जा सकते हैं, जिनका निर्यात किया जा सके। ऐसे उत्पादों के उत्पादन व निर्यात को प्रौत्साहित भी किया जाये।
आरतिया के अध्ययन अनुसार केंद्र सरकार के अभियान के उपरांत भी देश में मोटे अनाजों की खपत अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। देश भर में देखें तो ग्रामीण इलाकों में गेहूं की खपत 40.93 प्रतिशत, चावल की 55.35 प्रतिशत और मोटे अनाज की केवल 3.48 प्रतिशत मात्र है। इसी तरह शहरी इलाकों में यह खपत चावल की 53.20 प्रतिशत, गेहूं की 44.53 प्रतिशत और मोटे अनाज की मात्र 2.09 प्रतिशत है। देश के शहरी इलाकों में मोटे अनाज की सबसे अधिक खपत 12.94 प्रतिशत कर्नाटक में सबसे कम शून्य असम व पष्चिमी बंगाल में है। इसी तरह ग्रामीण इलाकों में देखें तो देश में सबसे अधिक खपत कर्नाटक में ही 19.43 प्रतिशत है और असम व पष्चिमी बंगाल में वही शून्य की स्थिति है।
ग्रामीण इलाकों के लिहाज से खाद्य उत्पादों में अनाज की सबसे अधिक खपत बिहार व पष्चिमी बंगाल में है, दूध की सबसे अधिक राजस्थान में, सब्जियों की सबसे अधिक छत्तीसगढ़ में, फलों की सबसे अधिक केरल में, मांसाहार की सबसे अधिक केरल में, बीवरेज व प्रोसेस्ड फूड की सबसे अधिक तमिलनाडू में और अन्य की सबसे अधिक महाराष्ट् में है। खाद्य उत्पादों की सामान्यतः जो खपत होती है, उसमें सबसे अधिक 20.7 प्रतिशत बीवरेज व प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों की रहती है, इसके बाद 18 प्रतिशत हिस्सा दूध का, 11.6 प्रतिशत सब्जियों का, 10.6 प्रतिशत अनाज का, इतना ही मांसाहार का और केवल 8 प्रतिशत फलों का होता है। शहरी इलाकों की बात करें तो प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों और बीवरेज की खपत सबसे अधिक 27.2 प्रतिशत, दूध की 18.4 प्रतिशत, फल-सब्जियों की 9.7-9.7 प्रतिशत, अनाज की 9.3 प्रतिशत और मांसाहार की 9.1 प्रतिशत खपत रहती है।
उल्लेखनीय है कि 2022-23 के दौरान देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन 3288.52 लाख टन दर्ज किया गया था, जिसमें चावल 1367 लाख टन, गेहूं 1129 लाख टन, श्रीअन्न 174 लाख टन और मोटा अनाज 547 लाख टन उत्पादित किया गया था। माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा मिलेट्स को प्रोत्साहित किये जाने के पश्चात मोटे अनाज के उत्पादन में 46.24 लाख टन की सबसे अधिक बढ़ोतरी भी दर्ज की गई थी। अतः इस विषय पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाना आवष्यक है।

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