इनवेस्ट राजस्थान व वाईब्रेंट राजस्थान जैसे इवेंट्स में राशि एवं एम.ओ.यू. के स्थान पर वास्तविक प्रस्तावों के क्रियान्वयन पर हो फोकस: ARTIA

जयपुर। आल राज. ट्रेड एंड इंडस्ट्री एसोसियेशन आरतिया ने राजस्थान सरकार से आग्रह किया है कि इनवेस्ट राजस्थान-2022 को नतीजों तक पहुंचाने के लिए जिला स्तर पर टास्क फोर्स बनाये जाने की आवष्यकता है। उल्लेखनीय है कि 7-8 अक्टूबर 2022 को जयपुर के सीतापुरा इंडस्ट्यिल एरिया स्थित जयपुर एग्जीबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित इस मेगा इवेंट में 10.44 लाख करोड़ रूपये के निवेष प्रस्तावों वाले 4192 एमओयू तथा एलओआई साईन किये गये थे, जिसमें दस फीसदी भी अपने मुकाम तक नहीं पहुंचे हैं। आरतिया का सुझाव है कि निवेश में राशि एवं एम.ओ.यू. की संख्या पर ध्यान ना देकर जो वास्तविक निवेशक एवं उद्यमी है उनकी आवष्यकताओं को देखते हुये वास्तिवक प्रस्तावों का फोलोअप किया जाना चाहिये और ग्रामीण (टू-टायर / थ््राी टायर) क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा निवेष आये इस पर फोकस किया जाना चाहिये।
आरतिया के सलाहकार रमेश मित्तल, संरक्षक मुकेश शाह, जसवंत मील व विनोद गुप्ता, एडवाईजर अजय गुप्ता व ओ पी राजपुरोहित, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सौरव शर्मा और उपाध्यक्ष राजीव सिंहल ने कहा कि आरतिया की ओर से पूर्व में भी इस बारे में अपनी बात सरकार को अनेक बार पहुंचाई गई थी, अब फिर आग्रह किया जा रहा है कि इन निवेश प्रस्तावको को कार्यान्वित करने के लिए जिला स्तर पर टास्क फोर्स बनाकर केस टू केस गतिशील किया जाये। सुझाव है कि जिला स्तर पर जिले के वरिष्ठतम विधायक की अध्यक्षता में यह टास्क फोर्स बने, जिला कलेक्टर पदेन सचिव बनाया जाये। इसके अलावा जिले के औद्योगिक-व्यापारिक संगठनों के तीन प्रतिनिधि भी इस टास्क फोर्स में शामिल हों। इस टास्क फोर्स की हर शनिवार को बैठक हो, जिसमें केस टू केस निवेशक को आमंत्रित किया जाये और उनकी सभी दिक्कतों को सुनकर स्पॉट पर ही समाधान किया जाये, ताकि निवेशक आगे की कार्रवाई के लिए तत्पर हो।
साथ ही यह भी कहा है कि सभी जिला कलेक्टर अपने इलाके के सभी तहसीलदारों को पत्र प्रेषित कर सरकार के स्वामित्व वाली सवाई चक जमीनों को चिन्हित व क्लबिंग का काम भी करवायें, ताकि आवंटन योग्य भूमि की समग्र जानकारी जिला कलेक्टर के पास उपलब्ध रहे। इसी तरह जिस गोचर भूमि को सिवाय चक भूमि में अन्य सिवाय चक भूमि लेकर तब्दील किया जा सके, उस संभावना को भी सूचीबद्ध किया जाये ताकि एक परफैक्ट लैंड बैंक बन सके। किसी भी परियोजना की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण होता है लैंड बैंक और इन एमओयू तथा एलओआई में से अधिकतर में काम इसलिए प्रारंभ नहीं हो पाया, क्योंकि निवेशकों को सरकार जमीन ही उपलब्ध नहीं करवा पाई।
इसके अलावा जिला स्तरीय टास्क फोर्स के काम काज का फालो अप तथा निगरानी के लिए विधानसभा में लोक-लेखा समिति के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक हाई-पावर कमेटी बने, जो कि हर जिलों से साप्ताहिक बैठक की रिपोर्ट ले और प्रदेश स्तर पर परियोजनाओं से संबंधित क्लीयरेंस एक सप्ताह में स्वीकृत हों यह स्वीकृत करे। इसमें अधिकतर अड़चने वन व पर्यावरण विभाग से आती हैं, उनकी स्वीकृति निवेशक को सहजता से मिले यह सुनिष्चित करने का काम यह हाई-पावर कमेटी करे। साथ ही भू-आवंटन व अन्य विषयों में निवेशक को जो दिक्कत आती है, उसका प्रदेष स्तर पर निस्तारण भी यह हाई पावर कमेटी करे। इस कमेटी में उद्योग-व्यापार संगठनों के तीन प्रतिनिधि तथा एमओयू-एलओआई करने वाले निवेषकों में से पांच प्रतिनिधि ऐसे अवष्य शामिल किये जायें, जो साप्ताहिक बैठक में आ सकें।

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