ARTIA ने जताई जरूरत राष्ट्ीय व्यापार एवं सेवा नीति की

जयपुर। आल राज. ट्ेड एंड इंडस्ट्ी एसोसियेषन ने राष्ट्ीय स्तर पर व्यापार और सेवा नीति की जरूरत जताई और कहा है कि यह नीति नहीं होने से देष में व्यापार और सेवा क्षेत्र अपेक्षित प्रगति नहीं कर पाये हैं। अर्थ-व्यवस्था में इन दोनों क्षेत्रों की बहुत बड़ी भागीदारी है लेकिन बावजूद इसके नीतिगत अभाव इन दोंनो क्षेत्रों के लिए बहुत बड़ी कमजोरी है।

आरतिया के अध्यक्ष विष्णु भूत, संरक्षक आषीष सर्राफ, चेयरमैन कमल कंदोई, कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियाणी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सज्जनसिंह और कैलाषषर्मा तथा उपाध्यक्ष ओ पी राजपुरोहित ने कहा है कि देष में व्यापार थोक से लेकर खुदरा में थड़ी स्तर तक फैला हुआ है। इसके अलावा लाखों लोग सेवा क्षेत्र में सक्रिय हैं। व्यापार और सेवा दोनों क्षेत्रों को सरकारी नीति की जरूरत इसलिए है कि नीति होने से इसका विकास त्वरित होता है और नये अवसर भी सृजित होते हैं, साथ ही काम-काज में पारदर्षिता बढ़ जाती है।

टीम आरतिया का कहना है कि इसके लिए पहल केंद्र सरकार करे और देष भर के व्यापारिक संगठनों और सेवा क्षेत्र प्रदायकों से व्यापार और सेवा नीति बनाने के लिए सुझाव-प्रस्ताव आमं़ित्रत करे। इन सुझावों-प्रस्तावों को समाहित कर नीति का मसौदा बनाने के लिए एक समिति बने, जिसमें व्यापारिक प्रतिनिधि भी ष्षामिल हों। नीति का मसौदा बन जाये, तो इसे सार्वजनिक कर दिया जाये और इस पर फिर से सुझाव-सलाह आमंत्रित किये जायें। उसके बाद नीति को अंतिम रूप देकर प्रभावी किया जाये। इस प्रक्रिया में 6-8 माह का समय अवष्य लगेगा, लेकिन नीति होने के बाद व्यापार और सेवा क्षेत्र दोनों की सुगमता बढ़ जायेगी।

आरतिया ने कहा है कि देष का व्यापारिक समुदाय और सेवा क्षेत्र प्रदायक अनेक तरह की समस्याओं से ग्रसित है, इन्हें किसी भी तरह की सरकारी सुविधा सामान्यतः नहीं मिल पाती बल्कि टैक्स दायित्व का बोझ होता है। यह समुदाय भी सामाजिक सुरक्षा का हकदार है और सेवा निवृत्ति उपरांत किसी अन्य पर आश्रित न बने यह उक्त नीति मेें सुनिष्चित किया जाये। इसका क्या माड्यूल हो सकता है, उस पर विचार-विमर्ष के जरिये तय किया जाये।

आरतिया का कहना है कि सरकार ने हर क्षेत्र के लिए नीति बना रखी है, उद्योग नीति है, टूरिज्म नीति है आदि अदि। पर व्यापार जो कि उत्पादक और उपभोक्ता के बीच की कड़ी है, उसके लिए नीति का अभाव है। इसी तरह सेवा क्षेत्र प्रदायक जिसकी जरूरत जीवन के हर मुकाम पर होती है, उसके लिए भी नीति न होना अखरता है। अतः सरकार इस नीति की आवष्यकता को समझे और बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ करे।

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