रीको औद्योगिक क्षेत्रों में सस्त दरों पर हो भूमि की उपलब्धतानो-प्रोफिट – नो-लॉस पर हो भूमि का आवंटन, सुविधाओं का हो विकास – ARTIA

जयपुर, 04 जनवरी: अखिल राज्य ट्रेड एण्ड इण्डस्ट्री एसोसियेषन (आरतिया) ने एक विज्ञप्ति जारी करके बातया कि आरतिया की कोर कमेटी की एक मीटिंग हुई तथा इसमें राज्य में औद्योगिक भूमि की उपलबध्ता पर विस्तृत विचार विमर्ष किया गया।
आरतिया के मुख्य सलाहकार कमल कन्दोई ने बताया कि राजस्थान राज्य में गत दिनों में रीको के द्वारा एवं बिल्डर्स के द्वारा बहुत सारे औद्योगिक क्षेत्र विकसित किये गये हैं, लेकिन जो औद्योगिक क्षेत्र बडे शहरों के आस-पास है, उनमें तो उद्योग लग भी गये, प्रारम्भ भी हो गये तथा रोजगार भी मिल गया, लेकिन बहुत से औद्योगिक क्षेत्र अभी तक पूर्ण रूपेण विकसित नहीं हुए हैं तथा बहुत सारी सुविधाओं का अभी भी अभाव है, सडके, बिजली, पानी, डेªनेज सिस्टम के साथ-साथ वित्तिय संस्थानों अर्थात बैंकों की सुविधाऐं भी वहां पर नहीं मिल पाती है। इसलिये सरकार को यहां पर ऐसी सभी सुविधाऐं उपलब्ध करवाने पर विचार किया जाना चाहिये।
आरतिया के मुख्य संरक्षक आषीष सराफ ने बताया कि देखने में आया है कि रीको द्वारा विकसित किये गये औद्योगिक क्षेत्रों में जमीन की कीमत आस-पास के क्षेत्र से बहुत अधिक है और चूंकि अधिकृत औद्योगिक क्षेत्र में विकास करने पर ही वित्तिय सुविधाऐं व अन्य सभी प्रकार की सुविधाऐं प्राप्त होती है, इसलिये उद्यमी को रीको क्षेत्र में जमीन खरीदना उसकी मजबूरी हो जाती है।
आरतिया के अध्यक्ष विष्णु भूत ने आग्रह किया कि सरकार को चाहिये कि वह औद्योगिक क्षेत्रों में भूमी की उपलब्धता सस्ती दरों पर सुनिष्चिित करवायें, यहां यह लिखना अनुपयुक्त नहीं होगा कि रीको को औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिये जहां भी सरकारी जमीन उपलब्ध होती है वह रियायती दरों पर मिल जाती है तथा रीको उसे विकसित करके औद्योगिक क्षेत्र बनाता है तथा बाद में उसकी नीलामी की जाती है, जबकि रीको का गठन ही सस्ती दरों पर औद्योगिक भूमी उपलब्ध करवाने हेतु हुआ था, तथा प्रारम्भ में रीको नो-प्रोफिट – नो-लोस पर मात्र आवंटन ही करता था, किन्ती अब पिछले कई वर्षों से ऑनलाइ्रन माध्यम से ऑक्षन के माध्यम से जमीन बेचता है, इसकी वजह से राज्य में उद्योग लगने की गती सुस्त हो गई है।
आरतिया के कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियानी ने कहा कि इस पर विचार किया जाना आवष्यक है, कम दर पर लम्बी अवधी के भुगतान की शर्तों के साथ भूमि का आवंटन किया जाना आवष्यक है। साथ ही भुगतान प्रक्रिया का भी सरलीकरण किया जाना चाहिये अर्थात उद्योग स्थापित होने से 5 से 10 वर्ष की किष्तों में भूमी का भुगतान करने की प्रक्रिया कायम हो सके। इससे राज्य में उद्योग व रोजगार तो बढेगा ही साथ ही राजस्व में भी वृद्धि होगी तथा अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर राजस्थान, आंध्रप्रदेष को पछ़ाड कर प्रथम नम्बर पहुंच सकेगा।.

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