उच्च शिक्षा का वैश्विक केंद्र बनने को तैयार है राजस्थान, ग्लोबल एजुकेशन सिटी बनाये राजस्थान सरकार

ARTIA on Global Education City

जयपुर। राजस्थान उच्च शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक केंद्र बनने को तैयार है, बस राजस्थान सरकार को राईजिंग राजस्थान के मौके का इसके लिए सदुपयोग करना चाहिये। यह कहना है टीम आरतिया का। अखिल राज्य ट्रेड एंड इंडस्ट्री एसोसिएशन के स्टडी-ग्रुप की बैठक में यह निष्कर्ष सामने आया। बैठक में विष्णु भूत, आशीष सर्राफ, कमल कंदोई, प्रेम बियाणी, कैलाश शर्मा, सुनील बंसल, दिनेश गुप्ता, आनंद पोद्दार, ओ पी राजपुरोहितए राजीव सिंहल व तरूण सारडा उपस्थित थे। स्टडी गु्रप ने अपनी रिपोर्ट राजस्थान सरकार को प्रेषित की है और कहा है कि उच्च शिक्षा क्षेत्र राजस्थान को वैष्विक मुकाम प्रदान कर सकता है, बस इसके लिए समुचित पहल की जरूरत है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत से उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले छात्रों की सख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है, 2019 में 10.19 लाख छात्र विदेश अध्ययन करने गये थे, यह संख्या अगले वर्ष 20 लाख को पार कर जायेगी। ये छात्र अगले साल अपनी विदेश यात्रा और वहां रहने-पढ़ाई आदि पर 70 अरब डॉलर अर्थात करीब 5.60 लाख करोड़ रूपये खर्च करेंगे। यह रकम कम नहीं होती। एजुकेशनल ट्रेवल पर ही भारतीय छात्रोँ का खर्च 6.3 अरब डॉलर वार्षिक से अधिक हो गया है। भारत से अधिकतर छात्र अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, जर्मनी, आयरलैंड, सिंगापुर, फ्रांस व न्यूजीलैंड पढ़ाई के लिए जाते हैं।
टीम आरतिया का कहना है कि इसके विपरीत भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त करने आने वाले छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट है। 2021 में यह संख्या 48035 थी, जो कि 2022 में 46878 रह गई। इसके बाद भी गिरावट की ही खबरें हैं। भारत जो कुल छात्र आते हैं, उनमें सबसे अधिक 28 फीसदी नेपाल के हैं, इसके अलावा अफगानिस्तान, भूटान, मलेशिया, सूडान, नाइजीरिया, बांग्लादेश और सऊदी अरब से छात्र आया करते हैं। अमेरिका से भी कुछ संस्थानों में छात्र पढ़ने आते हैं। भारत आने वाले छात्रों की एजुकेशन ट्रेवल पर 2015 में 51.9 करोड़ डॉलर खर्च हुए थे, यह रकम 2024 में घटकर 24 करोड़ डॉलर के करीब रह जाने की आशंका है।
रिपोर्ट के अनुसार हालांकि भारत सरकार इस बात की कोशीश कर रही है कि भारत को उच्च शिक्षा का केंद्र बनाया जाये, इसके लिए विदेशी शिक्षण संस्थानों को भारतीय शिक्षण संस्थानों से सहयोग कर शैक्षणिक केंद्र बनाने की अनुमति देने का प्रावधान है। यूजीसी ने भी अट्रैक्ट एंड सपोर्ट फारेन स्टूडेंट्स प्रोग्राम की अनुशंसा की हुई है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम बना रखा है। पर इन सबका लाभ लेने की पहल राजस्थान यदि करे तो सिरमौर हो सकता है। उदाहरण के तौर पर उल्लेखनीय है कि दुबई में इंटरनेशनल एकेडमिक सिटी जब से बनी है, वह उच्च शिक्षा का बड़ा डेस्टीनेशन बन गया है और बड़ी तादाद में ग्लोबल यूनीवर्सिटीज वहां आ गई हैं, लाखों की तादाद में छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। टीम आरतिया ने सुझाया है कि सरकार इस क्रम में ग्लोबल एजुकेशन सिटी का रोड़-मैप बनाकर ग्लोबल रैंकिंग के टाप 100 शिक्षण संस्थानों को राजस्थान में अपने सेंटर संचालित करने के लिए आमंत्रित करे। यह सिटी रेल-सड़क व हवाई अड्डे से कनेक्ट हो और यहां ग्लोबल एजुकेशन हब बनने का तमाम आधारभूत ढांचा सुव्यवस्थित रूप से सुलभ हो। ऐसा होता है, तो राजस्थान में ट्रांसफॉर्मेशन का एक नया इतिहास लिखा जा सकेगा और राजस्थान वैज्ञानिक रिसर्च व डवलपमेंट का भी बड़ा डेस्टिनेशन बन सकेगा।

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