ऑनलाईन फ्रॉड की बढती रफ्तार पर रोक लगाये सरकार , “जिस प्रकार ऑनलाईन लेन-देन को लोगों पर थोपा जा रहा है, ऐसे में सरकारी भी जिम्मेदारी तय हो -ARTIA
जयपुर दिनांक 03.05.2023ः आज आरतिया कार्यालय में कोर कमेटी की मीटिंग का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई तथा साथ ही बढते हुये साईबर क्राईम व ऑनलाईन धोखाधडी के मामलों पर गहन चर्चा हुई, जिसमें आरतिया के मुख्य संरक्षक आषीष सराफ, मुख्य सलाहकार कमल कन्दोई, अध्यक्ष विष्णु भूत, कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियानी एवं राजकुमार अग्रवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश चौपडा, गिर्राज खण्डेलवाल, सज्जन सिंह आदि ने अपने विचार रखे।
मुख्य सलाहकार कमल कन्दोई ने बताया कि रिजर्व बैंक के ताजा आंकडों के अनुसार गत 7 माह में करीब 1750 करोड़ से अधिक के ऑनलाईन धोखाधडी के मामने आये है, जो कि वो आंकडा है जो किसी भी प्रकार षिकार हुए लोगों द्वारा रिपोर्ट किये गये हैं। यह आंकडा इससे कई गुना अधिक है, जो कि जानकारी के अभाव में सामने नहीं आ पाते हैं। यद्यपि ऑनलाईन धोखाधडी के मामलों की बेहतर रिपोर्टिंग और पेमेंट फ्रॉड मैनेजमेंट को ऑटोमेट करने के लिसे रिजर्व बैंक द्वारा जनवरी 2023 को दक्ष प्लेटफार्म लांच किया है किन्तु आमजन में इसकी जानकारी नहीं होने के कारण लोगों को पता ही नहीं होता कि उन्हें अपने साथ हुई धोखाधडी की षिकायत किस प्लेटफार्म पर करनी है, तथा जब तक यह जानकारी प्राप्त कर उसके द्वारा षिकायत की जाती है, तब तक बहुत देर हो जाती है तथा पैसे आगे से आगे ट्रांसफर हो जाते है।
मुख्य संरक्षक आषीष सराफ ने बताया कि आज छोटे से छोटा काम भी कम्प्यूटर एवं मोबाईल के माध्यम से किया जा रहा है व सरकार द्वारा ऑनलाईन माध्यम से लेन-देन को प्रमोट किया जा रहा है तथा कई-कई स्थानों पर तो इसे आवष्यक रूप से लागू किया जा रहा है। इससे आम नागरिक एवं व्यापारियों को सहूलियत तो मिली है, समय कम नष्ट होता है तथा बिना भाग-दौड के फिंगर टिप्स पर आसानी से कार्य हो जाते हैं, किन्तु आज जिस गती से भारत में डिजीटलाईजेषन बढ रहा है, साईबर ठगी की वारदातें भी उसी गती से बढ रही है। आज दुनिया पूरी तरह इंटरनेट पर निर्भर है और पूरी तरह डिजिटल हो चुकी है। आज लगभग प्रत्येक व्यक्ति एंड्रॉयड मोबाईल का उपयोग करता है और करीब 30 प्रतिषत लोग कंप्यूटर और लैपटॉप का उपयोग अपने निजी कार्यों में, ऑफिस व व्यापार की लेन-देन के लिये उपयोग करते हैं। ऐसे में यदि सरकार द्वारा ऑनलाईन माध्यम से लेन-देन को जबरदस्ती प्रत्येक व्यक्ति पर थोपा जा रहा है, तो इसे सुरक्षित रखने का कार्य भी सरकार का ही है, साथ ही यदि किसी व्यक्ति के साथ कोई धोखाधडी होती है, तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की होनी चाहिये, कि वे षिकार हुए व्यक्ति को जल्द से जल्द उसकी राषि दिलवाये।
आरतिया अध्यक्ष विष्णु भूत ने बताया कि राजस्थान में भी सायबर क्राईम के आंकडे लगातार बढते जा रहे है, लेकिन इसकी षिकायत के लिये प्रदŸा किये गये नम्बर लगातार व्यस्त रहने के कारण लोगों की गाढ़ी कमाई साईबर अपराधियों द्वारा उडा ली जाती है, और जब तक हेल्पलाईन नम्बर पर सूचना दी जाती है तब तक राषि अन्य खातों में स्थानान्तिरत होकर निकाल ली जाती है। आंकडों से मिली जानकारी से रोज करीब 3 लाख लोग षिकायत दर्ज करवाने हेतु हेल्पलाईन नम्बर्स पर कॉल करते है, जिसमें से मात्र 4500 कॉल ही अटेण्ड हो पाती है, जो कि चिंता का विषय है।
आरतिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिर्राज खण्डेलवाल ने बताया कि मोबाईल में विभिन्न तरह के एप्स के हिडन फिचर्स के माध्यम से व्यक्ति की सम्पूर्ण जानकारी यथा इंटरनेट बैंकिंग आइडी, पासवर्ड, पर्सनल जानकारी, डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड की जानकारी चुराई जा रही है और इनके माध्यम से ऑनलाईन प्लेटफार्म्स पर ठगी की जा रही है, चोरी, चाईल्ड र्पाेनोग्राफी, साईबर स्टालकिंग, मिलीषियस सॉफ्टवेयर, हैकिंग जैसे साईबर क्राईम अपने चरम पर है आज फिषिंग मैसेज, वॉट्सअप, फैसबुक, ई-मेल के जरिये फर्जी लिंक्स भेजकर ठगी के कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है, जिससे सबसे अधिक डर व्यापार व उद्योग को रहता है, क्योंकि एक तो उसके खाते में सदैव बिजनेस के हिसाब से रकम जमा रहती है तथा ऑनलाईन लेन-देन भी लाखों-करोड़ो में होता है। ऐसे में यदि एक बार भी कोई ठगी का षिकार हो जाता है तो उसको लाखों-करोड़ों का नुकसान हो जाता है।
आरतिया के कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियानी ने बताया कि आरतिया द्वारा पहले से भारत में ‘‘साईबर क्राईम पिव्रेंषन एवं रेगूलेषन एक्ट’’ बनाये जाने की मांग की जा रही है, जो कि वर्तमान परिपेक्षय में बेहद आवष्यक है। वर्तमान में साईबर क्राईम से जुडे ज्यादातर मामले आई.टी. एक्ट 2000 की धारा 43, 65,66,67 व आई.पी.सी. की धारा 420, 120बी और 406 के अन्तर्गत चलाये जाते हैं। इसलिये ‘‘आरतिया’’ द्वारा सूचना प्रोद्योगिकी, गृह मंत्रालय एवं कानून मंत्रालय से आग्रह किया गया है कि आई.टी. एक्ट एवं आई.पी.सी. एक्ट की धाराओं को सम्मिलित करते हुये भारत में ‘‘साईबर क्राईम पिव्रेंषन एवं रेगूलेषन एक्ट’’ बनाया जावे ताकि ऑनलाईन ठगी एवं साईबर क्राईम के पीड़ितों को एक समय सीमा में जल्द से जल्द न्याय मिल सके, साथ ही साईबर क्राईम एवं इससे बचने के लिये लोगों को विभिन्न कार्यषालाओं, सेमिनार्स, विज्ञापन आदि के माध्यम से जागरूक किया जावे तथा इसके लिये देष एवं राज्य के व्यापारिक संगठनों एवं एसोसियेषन्स् को साथ लेकर एक गहन जागरूकता कार्यक्रम पखवाडा चलाया जाकर दक्ष प्लेटफार्म की जानकारी प्रदान की जावे जिससे समय पर सूचना होने से लोगों की खून-पसीने की कमाई को बचाया जा सके।