धन के अच्छे प्रवाह से बेहतर रहेगा आगामी कारोबारी सीजन – ARTIA

जयपुर। आल राज. ट्ेड एंड इंडस्ट्ीज एसोसियेषन का कहना है कि देष की अर्थ-व्यवस्था में सकल मूल्यवर्धन अर्थात जीवीए की स्थिति बेहतर होने के कारण सिस्टम में धन का प्रवाह बेहतर रहेगा जो कि जुलाई-दिसंबर छमाही के बीच कारोबारी सीजन के लिए लाभकारी कहा जा सकता है। आरतिया के विष्णू भूत, आषीष सर्राफ, कमल कंदोई, प्रेम बियाणी, ज्ञान प्रकाष व रमेष गांधी ने बताया कि प्रचलित मूल्यों पर जीवीए अर्थात सकल मूल्यवर्धन में गत वित्त वर्ष के दौरान 15.4 प्रतिषत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो कि उत्साहवर्धक है।
आरतिया के अनुसार कृषि क्षेत्र में किसानों के हाथ में गत वित्त वर्ष के दौरान 45.57 लाख करोड़ रूपये पहुंचा है, जो कि इससे पिछले वित्तवर्ष की तुलना में 12.1 प्रतिषत अधिक था। इसी तरह खनिज क्षेत्र के हाथ में यह रकम 35.9 प्रतिषत बढ़कर 5.83 लाख करोड़ रूपये, उत्पादन क्षेत्र में 7 प्रतिषत बढ़कर 36.16 लाख करोड़ रूपये, सामाजिक सेवा क्षेत्र में 33.5 प्रतिषत बढ़कर 7.41 लाख करोड़ रूपये, निर्माण क्षेत्र में 16.7 प्रतिषत बढ़कर 20.17 लाख करोड़ रूपये, व्यापार, होटल, परिवहन, संचार व प्रसारण सेवा क्षेत्र में 23.1 प्रतिषत बढ़कर 44.48 लाख करोड़ रूपये, वित्तीय सेवा, अचल संपदा और प्रोफेष्नल सेवा क्षेत्र में 14.9 प्रतिषत बढ़कर 53 लाख करोड़ रूपये तथा लोक प्रषासन, रक्षा व अन्य  सेवाओं में 13.8 प्रतिषत बढ़कर 34.48 लाख करोड़ रूपये पहुंचा है। इस तरह प्रचलित मूल्य पर जीवीए का आकार 247.43 लाख करोड़ रूपये के करीब रहा है।
आरतिया रिसर्च टीम के अनुसार इस जीवीए में जब शुद्ध कर को जोड़ा जाता है, तो जीडीपी का आकार सामने आता है। वर्ष 2022-23 के दौरान शुद्ध कर का आकार 24.97 लाख करोड़ रूपये था। इसे जीवीए में जोड़ा गया तो जीडीपी की राषि 272.40 लाख करोड़ रूपये बनती है, जो कि मार्च, 2023 को हमारे देष की जीडीपी का आकार था। इसमें महत्वपूर्ण होता है निजी खपत पर होने वाला खर्च, जो 2020-21 में 121.50 लाख करोड था, 2021-22 में बढ़कर 143.44 लाख करोड़ रूपये हो गया। वर्ष 2022-23 में यह 164.94 लाख करोड़ रूपये हो गया। इस तरह प्राईवेट फाइनल कंजप्षन अर्थात निजी खपत में खर्च होने वाली राषि लगातार बढ़ रही है। यह वह राषि है जो बाजार अर्थ-व्यवस्था को चलाती है। जीडीपी में सरकार के खर्चे का आकार 2022-23 में 28.19 लाख करोड़ रूपये रहा है और सकल पूंजी निर्माण 79.43 लाख करोड़ रूपये दर्ज किया गया है। इस तरह जीडीपी में निजी खपत की भागीदारी 60.6 प्रतिषत, सरकार के खर्चों की 10.3 प्रतिषत और सकल पूंजी निर्माण की 29.1 प्रतिषत रही है।

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