ट्रांसर्फोमेशन बढेगा ग्रीनर इकोनॉमी से: ARTIA
जयपुर। आल राजस्थान ट्रेड एंड इण्डस्ट्री एसोसियेशन ने कहा है कि देश जिस तरह से ग्रीनर इकोनॉमी की ओर बढ़ रहा है, उसे देखते हुए बड़ा ट्रांसर्फोमेशन दृष्टिगत हो रहा है। टीम आरतिया के विष्णु भूत, आषीश सर्राफ, कमल कंदोई, संजय पाराशर, सज्जन सिंह, प्रेम बियाणी, राजीव सिंहल और कैलाश शर्मा ने कहा है कि एक तरफ देश की सड़कों से 36 करोड़ डीजल-पेट्रोल चालित वाहन विदा हो जायेंगे। इनका स्थान लेने के लिए बिजली व हाईड्रो-ईंधन व बायो-ईंधन चालित वाहन सड़कों पर आयेंगें। दूसरी तरफ देश में इन वाहनों का उत्पादन बढ़ेगा और तीसरे जो वाहन सड़कों से विदा होंगें उनकी रिसाईकिलिंग का काम बढ़ेगा, इसके लिए देश में बड़ी तादाद में ग्रीनर व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग जोन व रिसाईकिलिंग जोन भी विकसित करने होंगें।
टीम आरतिया ने कहा है कि ग्रीनर इकोनामी के मायने है डीजल पेट्रोल चलित वाहनों के स्थान पर बिजली, हाईड्रो-ईंधन और बायो-ईंधन चालित वाहनों की संख्या सड़कों पर बढ़ना, ताकि सड़कों पर वाहनों का संचालन प्रदूषण रहित हो सके। जब डीजल-पेट्रोल चालित वाहनों की संख्या समाप्त होगी, तो इसके परिणामस्वरूप की कच्चे-तेल आयात पर निर्भरता भी समाप्त होगी। इस समय 16 लाख करोड़ रूपये के कच्चे तेल का सालाना आयात किया जा रहा है। कच्चे तेल की कीमतों में विचलन व मात्रा के अनुसार इस राशि में विचलन चलता रहता है। मोटे तौर पर आयात पर खर्च होने वाला 16 लाख करोड़ रूपैया बच सकेगा, लेकिन इसकी एवज में ग्रीनर एनर्जी स्रोत विकसित करने पर बड़े पैमाने पर निवेश होगा। यह निवेश प्रथम चरण में चार लाख करोड़ रूपये से अधिक होने की संभावना है, जो कि कालांतर में बढ़ेगा भी। इस नये निवेश से चालीस लाख से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगें। यह एक बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है।
आरतिया स्टडी ग्रुप का आंकलन है कि डीजल-पेट्रोल इस समय सरकार के लिए राजस्व प्राप्ति के लिहाज से आयकर के बाद दूसरा बड़ा स्रोत है। जब डीजल-पेट्रोल की वाहन में खपत समाप्त हो जायेगी, तो सरकार को अपनी आय का नया स्रोत भी खोजना होगा और यह खोज भी ग्रीनर एनर्जी रूट से होती दिखाई दे रही है। पर टीम आरतिया का कहना है कि सरकार पहले चरण में ग्रीनर एनर्जी से वाहन चालन को प्रौत्साहित करे। इसके लिए जीएसटी की दर न्यूनतम अर्थात 5 प्रतिशत ही सुनिष्चित की जाये, वाहनों के लिए भी तो फलेक्स इंजन के लिए भी। इसी तरह जिस ईंधन से वाहन का संचालन हो, उस पर भी टैक्स की दर 5 प्रतिषत से अधिक न हो। तीसरा सुझाव आरतिया ने यह दिया है टोल-टैक्स को उदार बनाया जाये और ग्रीन एनर्जी चालित वाहनों में चारपहिया वाहनों पर टोल टैक्स की दर 50 पैसे प्रति किलोमीटर तथा यात्री बसों और 10 टन तक के माल-वाहन के लिए एक रूपये प्रति किलोमीटर से अधिक न हो।
आरतिया का कहना है कि देश में ग्रीनर एनर्जी चालित वाहनों की आवष्यकता भी आने वाले दशक के दौरान तेजी से बढेगी, तो देश के सभी राज्यों में ग्रीनर एनर्जी वाहन उत्पादन जोन और पुराने डीजल-पेट्रोल चालित वाहनों के रिसाईकिलिंग के जोन स्थापित किये जायें। इसके लिए सुझाया गया है कि कस्बाती-ग्रामीण इलाकों का चयन किया जाये, जहां भूमि के मूल्य अभी कम हैं। शहरी इलाकों के नजदीक भूमि का मूल्य बहुत अधिक हो गया है, अतः वहां ये जोन स्थापित करना महंगा होगा, अतः संभाग मुख्यालयों से 40-50 किलोमीटर की दूरी पर सैटेलाईट टाउनषिप विकसित कर वहां ये जोन स्थापित किये जायें। इससे विकेंद्रित विकास होगा और देश में वाहनों की आवष्यकता की पूर्ति भी होगी। साथ ही ऑटोमोबाइल क्षेत्र को ट्रांसर्फोमेशन के प्रारंभिक दौर में ही आधारभूत ढांचा उचित लागत पर प्राप्त हो सकेगा।