कृषि, उद्योग-व्यापार की सेहत में सुधार का बजट

जयपुर-आल राज. ट्ेड एंड इंडस्ट्ीज एसोसियेषन आरतिया ने केंद्रीय बजट-2023 को देष की कृषि एवं औद्योगिक अर्थ-व्यवस्था की सेहत में सुधार का बजट बताया है। साथ ही बढ़ते वित्तीय घाटे पर चिंता भी जताई है।
आरतिया की ओर से विष्णु भूत, आषीष सर्राफ, कमल कंदोई, प्रेम बियाणी, ज्ञान प्रकाष, राजू अग्रवाल और एच एम जौहरी सीए ने कहा है कि कृषि क्षेत्र के लिए की गई दो घोषणाएं महत्वपूर्ण हैं, पहली एग्रीकल्चर एक्सीलेटर फंड तथा दूसरी होर्टीकल्चर क्लीन प्लांट प्रोग्राम। इससे कृषि क्षेत्र की उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी। केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय के लिए 13.7 लाख करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है, जिससे आधारभूत ढांचे व रोजगार सृजन में वृद्धि होगी। इसके साथ ग्रीन एनर्जी के लिए जो 35 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया है, वह भी स्वागत योग्य है।
एमएसएमई के लिए कोलेटरल फ्री दो लाख करोड़ रूपये के कोरपस फंड का प्रावधान एक उल्लेखनीय घोषणा है। रेलवे के आधुनिकीकरण पर 2.4 लाख करोड़ रूपये का प्रावधान अब तक का सर्वाधिक है। 157 नये नर्सिंग कॉलेज स्थापित करना अच्छी पहल है। पुराने वाहनां की स्क्रेप नीति से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्ी को बूस्ट मिलेगा।
सीमा ष्षुल्क में कटौती के जो प्रावधान किये गये हैं, वे संबंधित उद्योगों यथा केमिकल इंडस्ट्ी, मेरीन एक्सपोर्टर, ग्रीनर मोबिलिटी और एमएसएमई के लिए कच्चे माल की उपलब्धता के लिहाज से बेहतर है।
गिरिराज खंडेलवाल व सज्जनसिंह ने कहा कि नई स्वैच्छिक कर प्रणाली में राहत की बात तो कही है, लेकिन पुरानी कर प्रणाली में निवेष सीमा, गृह ऋणपर ब्याज और मेडिक्लेम प्रीमियम की छूट राषि आठ वर्ष से यथावत है, उसमें बढ़ोतरी नहीं किये जाना निराषाजनक है। कैलाष ष्षर्मा ने कहा कि केंद्रीय बजट में वित्तीय प्रबंधन का अभाव है तभी 17.86 लाख करोड़ रूपये का वित्तीय घाटा दर्षाया है, जो कि आगामी वित्त वर्ष की समाप्ति तक केंद्र सरकार पर कर्जे के बोझ को 175 लाख करोड़ रूपये के पार ले जा सकता है। यह स्थिति केंद्र सरकार की सोवेनिरीटी के लिए खतरा है।  

प्रसिद्ध समाचार पत्रों में कवरेज